शिवम शाहदेव
यूजी इंटर्न, स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय, रांची
प्रचीन शिव मंदिर,खकपरता लोहरदगा, इसे खकपरता मंदिर के नाम से जाना जाता है यह मंदिर लोहरदगा के खकपरता गांव में एक छोटी पहाड़ी के ऊपर स्थित है | यह अपनी सुंदर सुंदरता और शांत माहौल के लिए मशहूर है। खकपरता मंदीर प्रकृति के गोद में बसा लोहरदगा का एतिहासिक विरासत है,
गांव के लोग बताते है की मंिदर का निर्माण स्वयं ब्रामहा जी ने किया है और एक रात मे यह मंिदर बन के तैयार हो गया था मंिदर के हर पत्थर पर अलग अलग परतिमाये बनी हुई है निर्माण कार्य सुभा हो जाने के कारण रुक गया मंिदर के चारो तरफ कुछ निर्माण अधूरा राह गया जिसके कुछ अवशेष अभी भी नजर आती है वही मंदिर के नीचे एक गुफा भी है जब इसमें खोज बिन की जा रही थी तब देखा गया की यह गुफा लोहरदगा के भंडरा गाँव मे एक प्राचीन शिव मंदिर के तालाब मे जा कर खुलता है मंदीर के शिवलिंग मे चढ़ाया गया जल कही चट्टान मे नज़र नही आता है बताया जाता है की वही पास के खेतो मे वहाँ का जल निकलता है मंंंदिर के दरवाजे पर एक पत्थर का बना कलश भी रखा है पुराने लोग बताते है की वहा के चट्टानों मे भगवान के खडाउं के निशान भी दिखाई देते थे। खोज के कार्य के समय जब खुदाई की जा रही थी तब वाह पर तीर धनुष और बहुत सारे अवशेष मिले जिसे खोजी दल अपने साथ ले गये जिसका गांव वालो ने विरोध किया था उनका कहना था कि मन्दिर से निकले हुये अवशेषों को मंंदर मे ही रखा जाए इन्ही बातो को ले कर वहां खुदाई का कार्य रुकवा दिया गया और बाद मे मंदिर को सरकार ने अपने अंतर्गत लिया और सुंदरीकरण किया गया जो की आज के सामये मे एक बहुत सुंदर पर्यटक स्थल है।मंदीर चटानो पे बिना किसी पिलर के सहारे बना हुआ है और ओडिशा मे बनी एक मंदिर हूबहू इसी की रचनाओ से मिलती है