
सरहुल पूजा का उद्देश्य प्रकृति संतुलन है, इस पूजा और आदिवासी समाज का उद्देश्य तभी संपन्न और सुसज्जित होगा जब प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक झारखंड का निर्माण होगा, आए हम सभी मिलकर प्राकृतिक झारखंड को प्रदूषण मुक्त करने में अपनी आहुति प्रदान करें।
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण संघ के विमर्श में रामगढ़ जिले सहित संपूर्ण राज्य में फैलती प्रदूषण की आंधी पर चर्चा के दौरान कहा गया कि राज्य में छोटे-छोटे उद्योग तो लग रहे हैं ,परंतु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मनमानी रवैये के कारण पूरे राज्य में प्रदूषण नियंत्रण की स्थिति भयावह होती जा रही है।
राज्य में चलने वाले भारत सरकार के कोयला उद्योग,सीमेंट उद्योग, पत्थर उद्योग,गंधक उद्योग,एल्युमिनियम उद्योग,लोहा उद्योग सहित कई प्रकार के चलने वाले उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण का कोई उचित प्रबंधन नहीं है, जिसके कारण रामगढ़ जिले सहित संपूर्ण राज्य में प्रदूषण की स्थिति भयावह होती जा रही है, झारखंड के धरती पर इन उद्योगों से निकले वाले प्रदूषण के कारण आम नागरिक और जंगली जीव जंतुओं को अपनी जिंदगी जीना दूभर हो गया है, लगातार प्रदूषण के खिलाफ क्षेत्र के जनता द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए आंदोलन होता रहा है, परंतु जिले और राज्य के मानव और जीव जंतुओं के जान की परवाह किए बिना बहुत तेजी से प्रदूषण उद्योगों द्वारा फैलाया जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव राज्य के मानव और जीव जंतुओं पर सीधा दिखाई पड़ने लगा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार रामगढ़ जिले और राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम नहीं उठाया तो राज्य की जनता विवश होकर आंदोलन पर उतर जायेगी, जिसकी पूरी जिम्मेवारी राज्य और केंद्र साकार पर होगी।
प्रदूषण के संबंध में आम जनता द्वारा कई बार हजारीबाग के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ,जयंत सिन्हा तथा राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी कराई गई है,परंतु दुर्भाग्य है कि प्रदूषण मुक्त जिले और राज्य के निर्माण के लिए कोई ठोस पहल अभी तक नहीं की जा सकी है और आम जनता और जीव जंतुओं को मजबूर होकर प्रदूषण में जीने को विवश होना पड़ रहा है,जिसके कारण जिले और राज्य में राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है।