संथाल परगना तसर रेशम उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है जहां राज्य का लगभग 30 प्रतिशत उत्पादन होता है

वन आधारित तसर कल्चर को जनमानस तक बढ़ावा देने की आवश्कता:  सात्विक व्यास

संवाददाता
आई.एफ.एस.,डी.एफ.ओ./दुमका प्रमंडल के नेतृत्व में तसर रेशम उद्योग आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डा.एन.बी.चौधरी, निदेशक, केंद्रीय रेशम बोर्ड केंद्रीय तसर अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान रांची ने दुमका प्रवास के दौरान संयुक्त विचार मंथन किया। इस चर्चा के तहत  तूफान कुमार पोद्दार, सहायक निदेशक पर्यटन ने विकसित किए जा रहे पर्यटन स्थल मसानजोर दुमका का तसर संस्थान के टीम के साथ संयुक दौरा किया एवं तसर रेशमकीट के प्रमुख खाद्य पौधे अर्जुन का मसानजोर में पौधरोपण किया। जैसा कि हम जानते हैं की झारखंड का संथाल परगना तसर रेशम उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है जहां राज्य का लगभग 30 प्रतिशत उत्पादन होता है एवं इस उद्योग से हजारों लोग जुड़े हैं। मसानजोर दुमका में तसर रेशम उद्योग की गतिविधियों को भी और बढ़ावा देने हेतु श्री सात्विक व्यास, डीएफओ ने प्रतिबद्धता व्यक्त किया । इस चर्चा के दौरान पर्यटन को गति देते हुए तसर धगाकरण एवं वस्त्र निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने की इच्छा व्यक्त किया। दुमका में तसर कोशों का लाखों की संख्या में उत्पादन होता है अतः पर्यटन की दृष्टि से तसर धागाकरण एवं वस्त्र निर्माण को मसानजोर परिक्षेत्र उत्तम स्थान है जिससे लोगों को वर्ष पर्यन्त रोजगार मिले एवं आमदनी भी बढ़े। डा एन बी चौधरी निदेशक ने मसानजोर में एक मिनी तसर टेक्नोलॉजी पार्क विकसित करने की दिशा में सामूहिक प्रयास करने के प्रति संकल्प व्यक्त किया। संस्थान के वैज्ञानिक डा जयप्रकाश पांडेय एवं डा. शांताकार गिरी ने भी इस चर्चा में सहभागिता किया ।

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