भूमाफियाओं का शिकारगाह बना हेहल अंचल का खाता संख्या 119

 

मनोज शर्मा

 

गुलाबी गैंग तक तैयार कर रखा है यहां। जानकार बताते हैं कि भूमाफियाओं ने, सत्ता से लेकर, आइपीएस, दलालों , भूमाफियाओं , सरकार के करीबियों का एक नेक्सस है हेहल के कैलाश नगर की जमीन कब्जाने में। जमीन गैरमजरुआ खास प्रकार का है।

कुछ दिनों पहले मैं यहां तहकीकात में गया था तो देखा आठ दस महिलायें गुलाबी साड़ी में बैठी धूप सेंक रही हैं। ये वो हैं जो किसी के विरोध में झूंड में हथियार की तरह उपयोग की जाती हैं।

यहां जमीन कब्जा कर, घेर कर रांची के बच्चों के एक बड़े अस्पताल का विंग बन रहा है और एक इएनटी अस्पताल भी बन रहा है।

किसी विशाल एनाकोंडा की तरह लंबी चारदिवारी घेर कर पहले से खरीदे गये आम लोगों की जमीन को भूमाफिया नेक्सस लीलते जा रहा है। अकेला आम आदमी नीरीह कमजोर होकर अपनी जमीन छिनते देख रहा है। भले उसका म्यूटेशन हो गया है, रसीद कट रहा है लेकिन अब उसकी कोई वैल्यू नहीं।

गुर्गे कहते हैं हमारे पास फोरेंसिक जांच किया हुआ पेपर है।

अगर किसी ने यहां अपनी जमीन छिनने का विरोध किया तो भूमाफियाओं के जो आठ दस चमचे गुर्गे इस जमीन की सबसे उंचे जगह पर कुर्सी पर धूप सेंकते रहते हैं वो कहेंगे। आप के जमीन का कागजात नकली है। आप खरीदी में ठगे गये हैं।हमने ये जमीन मूल मालिक किसी वैद्य से ले रखी है और उसका पेपर हमारे पास है जो फोरेंसिक जांच किया हुआ है।
उसके बाद एक गुर्गा हतोत्साहित करने के लिये कहेगा कि अरे इसमें तो एक आइपीएस का भी प्लौट था। उनका भी छिना गये, वो कुछ नहीं कर पाये?
उसके बाद ये कहेंगे कि आप हेहल अंचल जायें, वहां जो होगा उसे हम स्वीकार लेंगे। दरअसल हेहल अंचल में तो सीओ,सीआई, कर्मचारियों, अमीन सब की खाता संख्या 119 सुनते ही घिग्घी बंध जाती है।

हकीकत में तो यहां सचमुच एक आइपीएस के लिप्त होने की बात आ रही है, पर उसकी संलिप्तता जमीन कब्जाने वालों के नेक्सस के साथ बतायी जा रही है।

स्पौट पर एक तथ्य तो साफ नजर आता है कि यहां जमीन को विशाल चारदीवारी कर लीलने वाले बहुत ऊपर तक पहुंच रखते हैं। वो आश्वस्त हैं कि उनके उपर जिसका वरदहस्त है उसके रहते कोई विध्न बाधा नहीं आ सकती। एक भुक्तभोगी ने कहा कि आप थाना जायेंगे तो वहां भी में ऊपर से फोन आ जाता है कि इस मामले में चुप रहना है।

खाता संख्या 119 पर कमिश्नर की भी रिपोर्ट है कि इस जमीन पर फैसला आनन फानन में किया गया है जो गलत है। लेकिन जब नीचे से ऊपर तक जबरदस्त फिल्डिंग हो तो क्या कमिश्नर, क्या अंचल,पुलिस ,न्याय और कानून?

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