आशीष कुमार
आप घरो या व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अक्सर शीशे के एक्वेरियम में रंगीन मछलियों को देखे होंगे। क्या आपको मालूम है ये सभी रंगीन मछलियां बाहर से मंगाई जाती हैं। इस व्यवसाय में मुख्य रूप से कोलकाता के निकट हावड़ा के आसपास कई मछली पालक हैं जो प्रचूर संख्या में रंगीन मछलियों का प्रजनन करा कर उन्हें देश के लगभग सभी हिस्सों में भेजते हैं।
यद्यपि मछलियों का प्रजनन थोड़ा कठिन है फिर भी कुछ छोटी मछलियां ऐसी है जो सीधे बच्चा पैदा करते हैं। उनका रखरखाव भी आसान है इसलिए स्थानीय स्तर पर उनका प्रजनन करा कर उन मछलियों को बाजार में भेजा जा सकता है। इनमें मुख्य रूप से चार मछलियां जैसे गप्पी, रेड मौली, ब्लैक मौली और स्वॉर्ड टेल आती हैं। इनका प्रजनन अपने आप होता है केवल प्रजनन के उपरांत बीज को अलग करना पड़ता है जिससे उनकी वृद्धि की जा सके। गप्पी मछली की कई प्रजातियां हैं जो बहुत ही लोकप्रिय हैं। एक प्रजाति जिसे रेनबो गप्पी कहा जाता है वह बहुत ही ज्यादा मांग में रहती है क्योंकि शरीर के अनुपात में उसका पिछला पंख बहुत ही बड़ा और कई रंगों का होता है। इनके अतिरिक्त यदि थोड़ा मेहनत किया जाए तो गोल्डफिश का भी प्रजनन सफलतापूर्वक कराया जा सकता है। लगभग सभी एक्वेरियम रखने वाले शौकीन लोग निश्चित रूप से गोल्डफिश रखते हैं इसलिए गोल्डफिश की मांग हमेशा बनी रहती हैं।
सरकार के मत्स्य विभाग के द्वारा रंगीन मछलियों के प्रजनन और रखरखाव के लिए न केवल प्रशिक्षण की व्यवस्था है बल्कि फाइबर टब, एयरेटर इत्यादि भी अनुदान पर उपलब्ध कराया जाता है। बड़े शहरों के निकट के गांव की महिलाएं या स्वयं सहायता समूह के सदस्य इसमें अभिरुचि लेकर यदि रंगीन मछलियों का प्रजनन का कार्य प्रारंभ करें तो उन्हें अतिरिक्त आमदनी होगी और बाहर से मछली के आपूर्ति पर निर्भरता कम होगी। रंगीन मछली का व्यापार एक बहुत ही बड़ा व्यापार है जिसे अपनाकर अपने आय में वृद्धि की जा सकती है।
लेखक सेवानिवृत्त उपनिदेशक (मत्स्य विभाग) हैं
फोन न 9430783037