खुशबूू कुमारी
रोल -58
झारखंड वनसंपदा से भरा हुआ प्रदेश हैं. झारखंड के ही नाम में ही झाड़़ जगंल जमीन हैें. बता दे कि राज्य में कई एसे पेड़ पौधे है जिससे यहा के लोग रोजगार का साधन बना चुके है राज्य के लोग पेड़ के पत्ते और फल को बेच कर अपनी आमदनी जुटाते हैं. वहीं इन पेड़ो में से एक महुआ का भी पेड़ है जहां राज्य के ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगो के लिए कमाई का साधन हैं.
बता दे कि झारखंड के ग्रामीणोंं को इसके सीजन का इंतजार रहता है महुआ मार्च के महिनें में पैदावर होता है और जैसे ही इस फल का पैैदावर होता है सभी ग्रामीण खुशी से झुम उठते हैं. क्योंकि इसके उपज से लोगो को आमदनी का एक अच्छा विकल्प मिल जाता है.
बता दे कि झारखंड के लातेहार जिले में महुआ की अच्छी पैदावर होती है. जहां लोगो द्वारा इसे चुन कर सुखा कर बेचा जाता है जिससे उन्हे इसकी अच्छी किमत भी मिीलती है.
महुआ से दारुु बनाने के साथ कई और भी वस्तुए बनाई जाती है जैसे महुआ का तेल जो सेहत के लिए भी लाभदायक साबित होता हैं. लेकिन अगर अब देखा जाए तो झारखंड के विकास के नाम पर कई पेड़ और फल विलुप्त होता जा रहा है जिसमें महुआ का भी पेड़ शामिल है.