झारखंड का स्वीदेशी रूगाडा

रांची संवाददाता : उदय कांत कुजूर

रूगाडा झारखंड के जंगलों में साल के पेड के आसपास पहले   मानसून की शुरूआात शुरूआत पर स्‍वाभाविक रूपा से अच्‍छी तरह से बढ़ता हैं1 यह मानसून के समय बादल गरजने से ज्‍यादा मात्रा में जंगलों में  निकलता हैं इसे क्षेत्री भाषा में पुटू कहा जाता हैं और हिन्‍दी में इसे रूगाडा कहा जाता हैं यह रूगाडा बाहरी रूप से अंडा आकार का होता हैं । यह सफेद कपूर के गोले के रूप मे दिखता हैं और यह काले रंग का भा होता हैं ।

झारखंड के कुछ स्‍थानों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले खाद्य मश्‍रूम की एक किस्‍म रूगाडा हैं। तो यह रूगडा झारखंड के लिए स्‍वदेशी है। झारखंड के जंगल इलाका क्षेत्र में ज्‍यादा मात्रा में पाया जाता हैा और स्‍थानीय बजारों में रूगाडा को बेचा जाता हैं। और आदिवासी महिला इस स्‍वादिष्‍ट मशरूम को बेचने के लिए इन स्‍थानिय बाजारों में इकाट्ठा होते हैं।

यह रूगाडा छोटे – छोटे सफेद कपूर के तरहा दिखता है खुरदी बनावट वाला बाहरी आवरण खोल और नरम जर्दी जैसा काली आंतरिक सामग्री से बना होता हैं1 जो कि इस रूगाडा का एक आनोखा स्‍वाद होता हैं ।

मानसून का महीना भगावान शिव का पवित्र महीना श्रवण का महीना को माना जाता हैा और जो लोग श्रवाण्‍ मानते हैा। वे लोग मांसाहारी खाने से परहेज करतें हैा इसिलए लोग इसे मांस के वैकल्पिक विकल्‍प के रूप में खाना पसंद करते हैं। क्‍योंकि रूगाडा का स्‍वाद मांसाहारी व्‍यंजन की तरह होता हैं।

यह रूगाडा बजारों मे 400 रूपये प्रति किलो के भाव से बेचा जाता हैं। और लोग रूगडा को सब्‍जि के रूप मे काफी पसंद करते हैं। रूगाडा का मौसम कुछ दिनो का होता है और साल मे एक बार होता हैं इसलिए लोग काफी पसंद करते है। रूगाडा में उच्‍च प्रोटीन विटामिन और खनिज पाया जाता है। यह रूगाडा में कार्बोहाइड्रेट नही होता है1 यह हृदय और मधुमेय रोगी इसे सेवन कर सकता हैं।

झारखंड के अधिकांश जंगल अब खनन और निर्माण गतिविधियों के कारण नष्‍ट हो रहे रहें हैं। जो रूगाडा के लिए खतरा हैं। और स्‍थानिय आदिवासी और किसानों के लिए खतरा का संकेत मडरा रहा हैा आदिवासी किसानों का व्‍यावसायिक पर प्रभाव पड़ रहा हैा और स्‍थानीयों आदिवाससीयों को शहर की ओर विस्‍थापन या उन्‍हें अन्‍य गजिविधियों में शामिल करना । अफसोस की बात हैं। कि झारखंड के जंगलों से यह रूगाडा तेजी से गायब होता जा रहा हैं। यह रूगाडा झारखंड के लिए स्‍वदेशी हैं।

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