संवाददाता
रांची: 3 सितंबर 2024 को रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में जलवायु परिवर्तन और सौर उर्जा विषय पर एक सार्थक चर्चा ” एनर्जी स्वराज यात्रा” का आयोजन किया गया। यह चर्चा कार्यक्रम रांची विश्वविद्यालय आइक्यूएसी द्वारा आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि सोलर मैन आफ इंडिया प्रो. चेतन सिंह सोलंकी थे।
::::प्रो. चेतन सिंह सोलंकी का परिचय::::
प्रो. सोलंकी आइआइटी मुंबई के प्रो. हैं उन्होंने एनर्जी स्वराज फाउंडेशन की स्थापना की है। प्रो. चेतन सिंह सोलंकी मध्य प्रदेश के सौर ऊर्जा के ब्रांड एंबेस्डर भी हैं।इन्हें सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिये सोलर गांधी कहा जाता है।प्रो. सोलंकी आइआइटी मुंबई से अवकाश लेकर 11वर्षों से पूरे देश में सोलर यात्रा पर हैं और इस कारण वह लंबे समय से अपने घर परिवार से भी दूर हैं उनका कहना है कि अपने अभियान की वजह से वह 2031 में ही अपने घर जायेंगे। वह अपनी सोलर बस से 56,400 किमी की यात्रा कर पौने तीन लाख लोगों से मिल चुके हैं और सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता का भगीरथ प्रयास कर रहे हैं।इनके कार्यों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की है।
प्रो. सोलंकी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आने पर प्रसन्नता है । उन्होंने जलवायु परिवर्तन से बाढ़ और जंगलों में आग की वैश्विक समस्या और उसके कारणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किस प्रकार हमने धरती के वातावरण में 52प्रतिशत अतिरिक्त कार्बन उत्सर्जन कर रखा है जिससे ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हम प्रति सेकेंड 14 लाख किलो कार्बन उत्सर्जित कर रहे हैं। धरती का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है। हमारी धरती बीमार है और यह बुखार सिर्फ वृक्षारोपण करने से नहीं रूकेगा। धरती पर कार्बन का खतरनाक स्तर तक उत्सर्जन सिर्फ हम मनुष्यों ने किया है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति शामिल हैं। हम अनावश्यक चीजों के पीछे पड़े हुये हैं और इसके लिये पृथ्वी का भयंकर दोहन कर रहे हैं वातावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। इस पृथ्वी पर हम मनुष्य ही अकेले वो जीव हैं जो अपने ही वातावरण को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिये पृथ्वी का तापमान डेढ़ डिग्री से ज्यादा न बढ़े । डेढ़ डिग्री तापमान बढ़ना हमारी लक्ष्मण रेखा है। अन्यथा प्रकृति हमें बाढ़, सुखाड़, गर्मी, महामारी जैसे आपदाओं की सजा देगी। हमारे पास समय बहुत कम है।
प्रो. सोलंकी ने कहा कि हम हर साल कौप सम्मेलन कर रहे हैं, वैश्विक तौर पर जलवायु परिवर्तन रोकने के लिये बैठकें कर रहे हैं पर जलवायु परिवर्तन रूक नहीं रहा। 99 प्रतिशत लोगों को पता नहीं है कि जलवायु परिवर्तन को कैसे रोकें। सबसे पहले हमें एनर्जी पैदा करने और उसके उपयोग के पैटर्न को बदलना होगा। प्रत्येक सेक्टर में सोलर एनर्जी का शत प्रतिशत उपयोग ही इसका निदान है।कोयले , परमाणु से ऊर्जा का उत्पादन और उसका उपयोग जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।
जलवायु परिवर्तन हम मनुष्यों के अस्तित्व पर एक संकट है। पृथ्वी पर संसाधन सीमित है लेकिन हमारी आवश्यकतायें रोज बढ़ती जा रही हैं। हम धरती के अंदर से पानी निकाल तो रहे हैं, पर उसे कभी रीचार्ज नहीं करते। वास्तव में तो हम सभी धरती से संसाधनों की चोरी कर रहे हैं। अवाइड, मिनिमाइज जेनरेट को आज की जरूरत बताया। तभी एनर्जी स्वराज आयेगा। यह काम सरकारों के भरोसे नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को योगदान देना होगा।