- झारखंड जैवविविधता पर्षद का एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
- सबों ने झारखंड के जैवविविधता के नुकसान पर चिंता व्यक्त की
- राज्य के जैवविविधता के संरक्षण के उपायों से लोगों को अवगत कराया गया
:::संवाददाता:::
रांची : 9 अगस्त 2024 को रांची के डोरंडा स्थित पलाश सभागार में झारखंड बायोडावर्सिटी बोर्ड ने एक सफल कार्यशाला आयोजित किया। इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में प्राध्यापक, ग्रामीण, झारखंड की जैव विविधता को समझने वाले प्रबुद्ध लोगों, वैज्ञानिक और पत्रकार शामिल हुये। जैवविविधता के सरंक्षण के प्रति जागरूकता के लिए झारखंड जैवविविधता पर्षद के सदस्य सचिव-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार, भा.व.से. के द्वारा डोरंडा स्थित पलाश सभागार में रांची, लोहरदगा, गुमला, खूंटी, सिमडेगा जिला के दूर दराज ग्रामो में गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति एवं सयुक्त वन प्रबंध समिति के सदस्यों के लिए इस दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया |
कार्यकर्म में भारतीय वन सेवा के पदाधिकारी श्री सत्यप्रकाश नेगी APCCF, श्री विश्वनाथ साह APCCF, विभिन्न विषय के विशेषज्ञों में प्रभात कुमार, पर्यावरणविद, डॉ प्रसेनजित मुखर्जी रांची विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के वरिष्ठ प्राध्यापक एवं जिलो के वन प्रमंडल पदाधिकारी भी शामिल हुये। सबों ने पर्यावरण संरक्षण से लेकर झारखंड की जैव विविधता को बचाने पर जोर दिया। इसअवसर पर पर्षद द्वारा बनाये गये एक डॉक्युमेंट्री को भी दिखाया गया।
सदस्य सचिव-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी संजीव कुमार ने राज्य के जैव विविधता, जैव विविधता अधिनियम एवं जैव विविधता प्रबंधन समितियों के कार्य पर प्रकाश डाला | कार्यशाला में उपस्थित सभी अथितियो ने विभिन्न जैव विविधता विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये। तकनीकी सत्र में विश्वनाथ साह , प्रभात कुमार ,डॉ प्रसेनजित मुख़र्जी झारखण्ड के जलीय पौधों के विशेषज्ञ तथा पर्षद के हरी शंकर लाल सुनील कुमार, पल्लवी भारती, इंटर्न ने जैव विविधता के कार्यों और उद्देश्यों को आम जन पहुंचाने और सहयोग की बात पर बल दिया। इस कार्यशाला में पारंपरिक तरीके से जड़ी-बूटी की उपयोग करने के तरीके पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यशाला में सबों ने झारखंड में जैव विविशता के क्षरण और विलुप्त हो रहे जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों पर चिंता व्यक्त की।
वहीं इंस्टीच्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी ललगुटुवा,रांची के वैज्ञानिक श्री रवि ने पौधों तथा जीव जंतुओं के संरक्षण के तरीकों से सभी लोगों को अवगत कराया। पर्षद ने पर्यावरण पत्रकारिता करने वाले चार पत्रकारों तथा इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया।