स्‍वच्‍छ ऊर्जा में क्‍यों पिछड़ रहा है झारखंड?

निवेदिता

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत के पूर्वी अंचल के राज्यों में झारखंड में नवीन ऊर्जा का विकास सबसे कम रहा है। इस राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा की कुल क्षमता केवल 97.4 मेगावाट है।राज्य सरकार ने 2015 के सौर नीति में 2020 तक 2,650 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा था जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। इस साल बनी सौर नीति में अब इस लक्ष्य को बढ़ा कर 4,000 मेगावाट तक कर दिया गया है।निवेश की कमी, स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित परियोजना लगाने के लिए ज़मीन की कमी और कई और कारणों की वजह से इस राज्य में नवीन ऊर्जा से जुड़ी योजना की रफ्तार धीमी रही है।झारखंड सरकार ने अब 100 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर प्लांट, 90 मेगावाट के सौर पार्क के लिए काम शुरू कर दिया है। राज्य के नए सौर नीति में भी उत्साह झलक रहा है।

सीताराम उरांव झारखंड राज्य के गुमला ज़िले के घाघर ब्लॉक के एक गांव में एक किसान हैं। आदिवासी समाज से आने वाले उरांव अपनी जमीन पर आलू, तरबूज और अन्य सब्जियों की खेती करते हैं और सिंचाई के लिए वे सौर ऊर्जा से चलने वाले पम्प का इस्तेमाल करते हैं। कुछ वर्षों पहले तक इसके लिए डीजल से चलने वाले पम्प की मदद लेनी पड़ती थी।उरांव बताते है कि डीजल से चलने वाला पम्प ना केवल महंगा पड़ता था बल्कि इसे खरीदने में भी काफी समय बर्बाद होता था। इसके लिए दूर शहर जाना होता था। करीब चार साल पहले उरांव ने सौर ऊर्जा से चलने वाला पम्प खरीदा था और अब इससे होने वाले लाभ से उत्साहित हैं।

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