सिमडेगा : जहाँ गूंजती थी गोलियां वहां बजेगा हाॅकी का डंका , उग्रवादियों के खौफ से दिन के उजाले में भी ये जगहे हुआ करती थी भयावह

Publish by: Ravikant Mishra

सिमडेगा: एक वक्त था कि सिमडेगा के भेलवाडीह और क्रुसकेला आदि क्षेत्र सिमडेगा के अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र माने जाते थे। दिन के उजाले में भी ये जगहे भयावह हुआ करती थी। बदुंको का डर मन की ललक पर हावी था। लेकिन अब यहाँ स्थिति सामान्य है। अब न तो यहाँ बंदूक की तडतडाहट है और ना हीं उग्रवादियों का लाल निशान। अब लोग यहाँ खुली हवाओं में खुल कर शांति की सांस ले रहे हैं। सब सामान्य हुआ तो युवा युवतियों की ललक और खेल की लालसा खुल कर सामने आने लगी है जबकि सिमडेगा जिला हॉकी का नर्सरी माने जाने वाला जिला है यहां से असुंता लकड़ा, सलीमा टेटे, ब्यूटी, सुषमा जैसे अनेकानेक अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी उभर कर सामने आए हैं।

यहाँ के युवा भी कुरडेग और बोलबा के युवाओं की तरह खेल के माध्यम से अपना परचम लहराना चाहते हैं। ये लोग खुले मैदानों में अक्सर गेंद के पीछे भागते नजर आ जाते हैं। लेकिन जागरूकता एवं अगुवाई की कमी के कारण भेलवाडीह आदि के बालक बालिका खिलाडी गांव तक ही सीमित हो गए है। इनकी प्रतिभा बाहर नही निकल पा रही है। इसी गांव की युवती पूर्व एथलीट उर्मिला सोरेंग जो रांची में प्रशिक्षण के साथ पढ़ाई कर रही है। वह अपने गांव की खिलाड़ियो को आगे बढाने की जिज्ञासा लेकर खिलाड़ियो के लिए समर्पित हॉकी झारखंड के उपाध्यक्ष मनोज कोनबेगी को गांव के खिलाड़ियो प्रोत्साहित करने के लिए आमंत्रित किया। हॉकी सिमडेगा के मनोज कोनबेगी और तीरन्दाजी कोच राजू मांझी भेलवाडीह गांव पँहुच कर वहां के युवक युवतियों से मिलकर उनकी जिज्ञासा जानी। उपस्थित युवाओं ने मैदान की समतलीकरण का ना होना और ट्रेंनिग की बारीकियों की जानकारी ना होना प्रमुख समस्या बतलाई।उनकी बातों को सुनकर मनोज कोनबेगी ने कहा कि मैदान का समतलीकरण ना होना बहुत बड़ी समस्या नही है।

उन्होंने कहा कि अपने हाथो से हम अपने लिए मैदान समतलीकरण कर सकते है सभी कार्यो के लिए सरकार पर निर्भर नही रहना है। हमें आत्म निर्भर होना चाहिए। मनोज ने उनसे कहा कि अभी जो सिमड़ेगा में एस एस बालिका उच्च विद्यालय में एस्ट्रोटर्फ देखरहे है शुरु में वो आप लोंगों के इस मैदान से भी उबड़ खाबड़ था। हॉकी सेंटर की बालिकाओ के साथ मिलकर हमलोंगो ने श्रमदान कर उसे समतलीकरण किया। धीरे धीरे वहां प्रतियोगिताये होने लगी पदधिकारियो का आगमन होने लगा तब जाकर अब वो एस्ट्रोटर्फ मैदान बना। आपलोग भी इसी तरह इस उबड़ खाबड़ मैदान को खुद से समतलीकरण कीजिये जिसमे हमलोंग आपके साथ रहेंगे। मनोज ने कहा आपलोंगों को उर्मिला के रूप में बहुत अच्छी नेतृत्वकर्ता मिली है जिसका लाभ लीजिये। रही बात प्रशिक्षण की बारीकियां की जानकारी वो हमारा दायित्व है।आपलोग जिस दिन बोलेंगे हमलोंग उपस्थित हो जायेगे।जिस पर उपस्थित युवाओं ने अपनी सहमति देते हुए बालकों की अगुवाई के लिए गुलाब सिंह एवं बालिकाओं की अगुवाई के लिए अंजना सोरेंग को अपना अगुवा चुना।सभी युवाओं की नेतृत्व कर रही उर्मिला सोरेंग ने हॉकी के पदाधिकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमलोंग बहुत जल्द अपने इस ऊबड़ खाबड़ मैदान का समतलीकरण करेंगे और आपलोंगों को पुनः आमंत्रित करेंगे। इस मौके पर कई बालक एवं बालिका उपस्थित थे।युवाओं की ललक और उत्साह देख कर एक बात तो साफ हो गया कि सिमडेगा में अब नक्सलवाद नहीं खेलवाद उभरेगा और क्षेत्र को खिलाड़ियों से भर कर पदकों से चकाचौंध कर देगा।

 

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