चाइनीज टाइम  बम पर बैठे हैं हम भारतीय

लेबनान में पेज़़र विस्‍फोट का संदेश : भारत पर है बड़ा संकट

:::मनोज कुमार शर्मा:::

स्‍मार्टफोन में निर्माता कंपनियों द्वारा एक जासूसी सॉफ्टवेयर डाली जा सकती है जिसे ”बोटनेट” कहते हैं। बोटनेट वह खुफिया सॉफ्टवेयर हैं जो हमारे स्‍मार्टफोन में सुप्‍तावस्‍था में रहेंगे पर उसे निर्माता कंपनी जब चाहे कहीं से भी एक्टिवेट कर देगी। उसके बाद वह बोटनेट सॉफ्टवेयर बिना हमें भनक लगे अपने मिशनपर लग जायेगा। हमारे फोन की एक – एक सूचनायें मैन्‍युफैक्‍चरिंग कंपनी को भेजते रहेगा। यह बोटनेट ऐसा भी बनाया जा सकता है कि वह स्‍मार्टफोन को इस हद तक उपयोग में लेने लगे कि फोन गर्म होकर ब्‍लास्‍ट  कर जाये। अक्‍सर हमारे स्‍मार्टफोन के सॉफ्वेयर अपडेट नहीं होने पर भी वह अत्‍यधिक गर्म होने लगते है। चीन की ह्युवेई, हिकविजन जैसी कंपनियों पर खतरनाक बोटनेट युक्‍त उपकरण बनाने के आरोप लगते रहे हैं और यूरोप के कई देशें तथा अमेरिका ने इन्‍हें बैन कर रखा है। लेकिन भारत  स्‍मार्टफोन और दूरसंचार उपकरणों के मामले में चीनी पंजे में कुछ इस तरह से फंसा हुआ है कि चीन जब चाहे आम भारतीयों के संचार उपकरणों से लेकर हमारे प्रतिष्‍ठानों , सुरक्षा तंत्रों,सेना के उपकरणों तक को  बीजींग में बैठ कर ही तबाह कर  सकता है।

ऐसे समझिये लेबनान में क्‍या हुआ होगा ?

सबसे पहले 2002 की मुंबइया फिल्‍म ” हम किसी से कम नहीं” की। इस फिल्‍म में संजय दत्‍त टपोरी अंदाज में गाते हैं… ऐ मुन्‍ना मोबाइल ओ पप्‍पु पेजर मेरा चल गया चक्‍कर” उस गाने में मोबाइल के साथ पेजर का भी उल्‍लेख है। भारत में पेजर वही डिवाइस है जो युवा होने से पहले ही मोबाइल के हाथो मारा गया। पेजर एक मैसेजिंग डिवाइस था जिसमें बातचीत नहीं होती थी सिर्फ मैसेज का आदान प्रदान होता था और यह दूरसंचार उपकरण ज्‍यादासुविधायाुक्‍त मोबाइलों के आने से अचानक ही गायब हो गया।

इसी आउटडेटेड उपकरण पेजर को लेबनान का आतंकी संगठन हिजबुल्‍ला उपयोग में ले रहा था और 17 सितंबर को वहां हजारों पेजर में विस्‍फोट हुये जिसमें तीन हजार लोग घायल हो गये। दर्जन भर मर गये। इस वाकये के बाद आम भारतीयों के मन में सबसे पहला सवाल ये आया कि आज स्‍मार्टफोन के युग में लेबनान जैसे देश में बाबा आदम जमाने का उपकरण पेजर क्‍यों उपयोग हो रहा था? बाद में खबरों से पता चला कि हिजबुल्‍ला के लड़ाके अगर स्‍मार्टफोन उपयोग करते थे तो इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद उसे ट्रैक कर लोकेशन पता कर वहां मिसाइल मार देती थी। पुराने तकनीक से काम करने वाले पेजर में ऐसा कुछ ट्रैक करना संभव नहीं था।  इसलिये हिजबुल्‍ला लड़ाके अपने लीडर के आह्वान पर पेजर का उपयोग कर रहे थे, पर मोसाद ने पेजर की पूरी खेप के बैट्री में ही विस्‍फोटक लगा दिया था और  उसमें विस्‍फोट करा कर हजारों को बुरी तरह से घायल कर दिया।

अब हम इस रीमोट विस्‍फोट की तकनीक को सरल भाषा में जानते हैं कि यदि सभी पेजर के अंदर कुछेक ग्राम विस्‍फोटक थे तो उसे इजरायल से बैठ कर ही लेबनान में विस्‍फोट कैसे कराया गया? किसी भी फोन या स्‍मार्टफोन के मेमोरी में उसका एक ऑपरेटिंग सिस्‍टम  होता हैं और उस ऑपरेंटिंग सिस्‍टम में ऐसी प्रोग्रामिंग की जा सकती है जिससे उपकरण रीपीटेड वर्कलोड में फंस कर अत्‍यधिक गर्म हो सकता है, स्‍वयं को डैमेज कर सकता है।

अब तक यह धारणा रही है कि वायरस, बोटनेट, मालवेयर, रैसमवेयर वगैरह से सिर्फ डाटा और सॉफ्टवेयरों को ही नुकसान पहुंचता है,पर आज से दो दशक पहले मैने कुछेक युवा सॉफ्टवेयर प्रोग्रामरों को  यह दावा करते सुना था कि उन्‍होने एक ऐसा वायरस सॉफ्टवेयर डेवलप किया है जिसे रन कराते ही वह कंप्‍यूटरों के रैम को बर्न कर खराब कर देगा। उनका कहना था कि उनका वायरस साफॅट्वेयर रैम को इतनी तेजी से उपयोग में लेगा कि रैम ओवरलोड होकर गर्म हो जायेगा और जल जायेगा।  बेशक आज तो प्रोग्रामिंग तकनीक उस अकल्‍पनीय ऊफान पर है कि कुछ भी किया जा रहा है। एआइ,चैट जीपीटी इसके उदाहरण हैं। सभंव है लेबनान में हजारों पेजरों पर कुछ ऐसे बल्‍क मैसेज भेजे गये हों जिसने पेजर को उसके कार्य क्षमता से ज्‍यादा उपयोग में उलझा दिया और वह गर्म होकर बर्न हुआ और उसमें रखे विस्‍फोटक फट पड़े। यह किसी फैंटेसी और कॉमिक्‍स बुक में बुने गये परग्रही युद्धों की तरह है।

लेबनान में हजारों पेजर में बम विस्‍फोट की घटना से अगर हम भारत की तुलना करें तो देश में ऐसी बड़ी आबादी है जिसे भरपेट खाने को नहीं है , पर उसने पेट काट कर स्‍मार्टफोन खरीदा है, वह रील बनाता है, पोर्न देखता है, घंटों स्‍मार्टफोन पर ही समय देता है। भारत में फोन यूजर की संख्‍या एक अरब के पार है और इनमें से 90 प्रतिशत फोन, स्‍मार्टफोन चीन निर्मित हैं। मेड इन इंडिया सिर्फ नारा भर है। जो फोन भारत में असेंबल होते हैं उसके भी मुख्‍य किट, चिप उसके रौम में प्रीलोडेड सॉफ्टवेयर मुख्‍यत: चीन से ही आयातित हैं। ऐसे में यदि चीन मोसाद की तरह कोई हरकत कर दे तो यहां दुर्घटनाओं की सुनामी आ जायेगी।

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