:::अमृतेश पाठक:::
रांची : झारखंड में सरकार द्वारा समय समय पर लुभावनी लोक कल्याणकारी योजनायें प्रारंभ की जाती हैं, पर अक्सर यह देखा गया है कि इन योजनाओं का वास्तविक लाभ यहां के गरीबों, वंचितों के बजाय सक्षम लोग उठा ले जाते हैं। यहां एक व्यंग्य है कि सरकारी राशन का लेने यहां लोग बुलेट और एसयूवी से पहुंचते हें। यानि सक्षम लोग ही सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ ले रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर मईंया योजना प्रारंभ की गयी है। इसके तहत राज्य के हर वर्ग की 18 से 50 वर्ष की महिलाओं को 1000रू. प्रतिमाह दिये जा रहे हैं। इस योजना का लाभ पढे लिखे और सक्षम वर्ग के लोग तो उठा रहे हैं, पर झारखंड के सुदूर गांव कस्बों की गरीब महिलायें इसके लिये अक्सर चक्कर काटती मिल जायेंगी।रांची में किराये में रह कर दो बच्चों के साथ किसी तरह मजदूरी कर गुजर बसर करने वाली गुमला जिले की बिशुनपुर की रहने वाली सुगंती देवी जो एक आंख की रोशनी भी गंवा चुकी है और पति के सीधेपन और स्वयं के जानकार न होने के कारण राशन कार्ड से भी वंचित है। इस महिला का कहना है कि गांव में मुखिया से लेकर किसी परिचीत , रिश्तेदार ने भी राशन कार्ड बनवाने में उसकी मदद नहीं की। इस कारण से वह सभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित है। यह महिला मईंया योजना में एक हजार प्रति माह मिलने की बात सुन कर आवेदनकरने पहुंच गयी ,पर राशन कार्ड न होने के कारण योजना के लाभ से वंचित और मायूस है।