प्रतिमा प्रिया
यूजीइंटर्न, स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय,रांची
झारखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए तो जाना जाता ही है, लेकिन ये राज्य आस्था के प्रमुख केंद्रों के लिए भी प्रसिद्ध है।इनमें से एक मंदिर “हाथी खेदा ठाकुर” का मंदिर है, जो भले ही देश भर में ज्यादा प्रसिद्ध न हो सका हो, लेकिन इस मंदिर के बारे में जानने वालों की श्रद्धा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये साल भर भक्तों को आकर्षित करता है।
श्री श्री हाथी खेदा मंदिर, झारखंड में एक अनोखा मंदिर है। यह जमशेदपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर, लाजोरा , पटमदा गांव में स्थित है। ये ज़्यादातर हिंदू मंदिरों से अलग है क्योंकि यहां कोई देवी-देवता नहीं बल्कि हाथियों की पूजा की जाती है।
मंदिर की खासियत
हाथी खेला मंदिर हाथियों की पूजा के लिए समर्पित है।मंदिर परिसर में हाथियों की कई मूर्तियां हैं।
भक्तों के अनुसार,सैकड़ों साल पहले आस-पास के गांवों में अक्सर हाथियों का आतंक होता था और वे फसलें तबाह कर देते थे। इसी समस्या से निजात पाने के लिए ग्रामीणों ने यह मंदिर बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनने के बाद से हाथियों का आना बंद हो गया। दिलचस्प बात ये है कि “हाथी खेदा”का अर्थ होता है-हाथियों को भगाना।
चढ़ावा और पूजा विधि
भक्त हाथी की मूर्तियों को फल, नारियल और मिठाई चढ़ाते हैं। कुछ भक्त बलि के रूप में भेड़ भी चढ़ाते हैं, हालांकि महिलाएं इसका मांस नहीं खाती हैं।
मान्यताएं और लोकप्रियता
लोगों का मानना है कि हाथी खेदा मंदिर में पूजा करने से शुभ होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।यह मंदिर साल भर झारखंड और आसपास के राज्यों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
हाथी खेदा मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। यहां कई श्रद्धालु मुंडन संस्कार के लिए भी आते हैं। लोगों की मानें को यहां कोई भी मनोकामना सिर्फ मत्था टेकने से ही पूरी हो सकती है। झारखंड के आसपास के राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, उड़ीसा से भी श्रद्धालु यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।