अभिषेक
पीजी इंटर्न, स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय, रांची
पर्यावरण के किसी भी मानक में झारखंड की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां का आबोहवा बिगड़ रहा है. यह एक चिंता की बात है. राज्य की कुछ नदियां इतनी प्रदूषित है कि इनमें जलीय जीव नहीं रह सकते. रांची के हरमू नदी में ऑक्सीजन तक नहीं है.
पर्यावरण के किसी भी मानक पर झारखंड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यहां प्रदूषण के कई कारक देश में सबसे खराब हैं. देश के टॉप-10 प्रदूषित शहरों की सूची में झारखंड का धनबाद शामिल है. वहीं, राज्य की कुछ नदियां इतनी प्रदूषित है कि इनमें जलीय जीव नहीं रह सकते हैं. जबकि, देश में सबसे अधिक सूखा पड़नेवाले जिला भी झारखंड में ही है. जंगलों की वजह से इस राज्य का नाम ‘झारखंड’ पड़ा है. यहां जंगल तो बढ़ रहे हैं, लेकिन घने जंगल घट रहे हैं. इसरो की रिपोर्ट में जिक्र है कि यहां की जमीन बंजर होती जा रही है. इसके बावजूद यहां पर्यावरण को प्रदूषित होने रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए जो पैसा मिल रहा है, वह भी खर्च नहीं हो पा रहा है. अब तक सभी जिलों का क्लाइमेट एक्शन प्लान नहीं बन पाया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बार-बार सभी जिलों में प्रदूषण का स्तर जानने के लिए उपकरण लगाने को कहा रहा है. इसके बावजूद मात्र दो स्थानों की रिपोर्ट ही भारत सरकार को मिल पा रही है.
200 से अधिक रहता है धनबाद का एक्यूआई
देश-दुनिया को अपने कोयला से रोशन करनेवाले झारखंड के लिए कहीं-कहीं यह अभिशाप भी है. झारखंड में करीब 30 हजार लोगों की मौत कारण प्रदूषण है. ब्रिटिश जर्नल लैनसेट कमीशन के आंकड़े बताते हैं कि 2017 में एक लाख में 100 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हुई. राज्य की वर्तमान आबादी के हिसाब से करीब 30 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हर साल हो रही है. धनबाद जैसे शहर में औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 के पार रहता है. राज्य के एक-दो जिलों को छोड़ दें, तो किसी भी जिले का औसत एक्यूआई 100 से नीचे नहीं है.
हरमू नदी में ऑक्सीजन ही नहीं
झारखंड में कई नदियों में उद्योगों का कचरा नदियों में गिराया जाता है. शहरों में सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट नहीं होने के कारण घरों का कचरा नदियों में गिराया जाता है. यही कारण है कि राजधानी के बीचो-बीच स्थित हरमू नदी करीब 80 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी ठीक नहीं हो सकी. यहां का पानी जलीय जीवों के जीने के लायक भी नहीं है. हरमू नदी के पानी में दो मिली ग्राम से भी कम ऑक्सीजन है. जबकि, पानी में पांच मिली ग्राम से कम ऑक्सीजन होने पर जलीय जीव भी इसमें नहीं रह सकते हैं