रांची: गोंदा तालाब(कांके डैम), जो कि राँची शहर के हातमा बस्ती का एक प्रमुख तालाब है, जहाँ कुछ सालों पहले ग्रामीण लोग नहाने हेतु उपयोग में लाया करते थे। साथ ही साथ यहाँ छठ पूजा एवं मंडा पूजा में स्नान की विधि को भी संपन्न किया जाता था। लेकिन आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। कुछ सालों से अत्यधिक मात्रा में घास का पैदा होना एवं तालाब में नाले का गंदा पानी घुसने से न केवल इसका प्राकृतिक सौंदर्य नष्ट हो रहा है, बल्कि इसके प्रदूषण स्तर में भी भयानक वृद्धि हो रही है। स्थानीय निवासी और पर्यावरणविद इस समस्या से बहुत परेशान हैं। गोंदा तालाब सदियों से ग्रामवाशिओं के लिए न केवल जल स्रोत रहा है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय स्थल भी है।
यहां की शांति और सुंदरता लोगों को आकर्षित करती रही है। लेकिन अब, नाले का दूषित पानी तालाब में मिल जाने से इसका जल गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। यह स्थिति न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि इसके आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन गई है। तालाब के पास रहने वाले लोग इस स्थिति से बहुत परेशान हैं। चन्दन, पवन टोप्पो, दीपक मिंज जो तालाब के पास ही हैं, जो बताते हैं, “हमारे बच्चे इस तालाब में खेलते थे और यहां की ताज़ी हवा में सांस लेते थे। लेकिन अब, इस नाले के पानी ने सब कुछ बदल दिया है। तालाब का पानी गंदा और बदबूदार हो गया है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस मुद्दे को प्रशासन के सामने रखा है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। प्रदीप मिर्धा, कारन नायक, रोहित बिनहा, राहुल कुमार एवं अन्य स्थानीय निवासी, बताते हैं, हमने कई बार नगर निगम और पर्यावरण विभाग को सूचित किया लेकिन वे केवल आश्वासन ही देते हैं। नाले का पानी रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। यह समय है जब सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए। नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए कि वे तुरंत नाले के पानी के तालाब में मिलाने को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। साथ ही, तालाब की सफाई और उसके प्राकृतिक सौंदर्य को बहाल करने के लिए योजनाएं बनाई जाएं।