आंकड़े बताते हैं कि भारत के पूर्वी अंचल के राज्यों में झारखंड में नवीन ऊर्जा का विकास सबसे कम रहा है। इस राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा की कुल क्षमता केवल 97.4 मेगावाट है।राज्य सरकार ने 2015 के सौर नीति में 2020 तक 2,650 मेगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा था जो अब तक पूरा नहीं हुआ है। इस साल बनी सौर नीति में अब इस लक्ष्य को बढ़ा कर 4,000 मेगावाट तक कर दिया गया है। निवेश की कमी, स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित परियोजना लगाने के लिए ज़मीन की कमी और कई और कारणों की वजह से इस राज्य में नवीन ऊर्जा से जुड़ी योजना की रफ्तार धीमी रही है। झारखंड सरकार ने अब 100 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर प्लांट, 90 मेगावाट के बिपुल कुमार तिवारी सौर पार्क के लिए काम शुरू कर दिया है। राज्य के नए सौर नीति में भी उत्साह झलक रहा है।
रांची के ठाकुरगांव निवासी बाबा फ्यूल्स के संचालक विशाल सागर तिवारी ने बताया कि उनका प्रतिष्ठान 80 % सौर ऊर्जा से ही संचालित होती है। जिससे बिजली का बिल लगभग 60-70 % कम आती है तथा प्रकृति की ऊर्जा का सदुपयोग भी हो जाता है।
वहीं दूसरी और सुदूर गांव में भी किसान अब सौर ऊर्जा से संचालित मोटर पंप पर ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की आंखमिचौली अब भी जारी है। 24 घण्टे में मात्र 10 घण्टा ही बिजली रहती है।सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखकर सरकार ने भी अब सौर ऊर्जा पर 50% सब्सिडी देने की घोषणा की है।
पीजी इंटर्न,स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय, रांची