:::बिपुल कुमार तिवारी:::
ईंधन के लिये महत्वपूर्ण उद्योग में कोयले का उपयोग होता हैं हम आधुनिक भारत निर्माण पर जोर तो दे रहे हैं कहां । शहरों पर दें रहें हैं गांवों पर नही । कोल कंपनी जिस – जिस क्षेत्र में हैं वहां का पर्यावरण प्रदूषित हों जाता हैं 2007 में विश्व स्वास्थ संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोयले के कणों के प्रदूषण से दुनिया भर में सालाना लगभग 10000 लोगों की जान जाने की अनुमान हैं।
जिस क्षेत्र में कोय कंपनी हैं वहां के लोगों के लिए शिक्षा के लिए स्कूल ,आसपताल , पेय जल , खेल का मैदान, अच्छी सड़क, वहां के लोगों को रोजगार देना और पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए पेड़ लगाना आदि चीजों का सुविधा देना कोल कंपनी का होता हैं क्या सही में इन सब चीजों को कोल कंपनी ध्यान देती हैं ? या नही । कोल कंपनी आज कल इन सब चीजों को कुछ साल के लिए ध्यान देती हैं और इन सब चीजों को कुछ साल के बाद भूल जाती हैं जिसके कारण से वहां के गरीब उबर नही पाते हैं और जिनकी कोल कंपनियों में नौकरी लगी हैं उनकी स्थिति तो अच्छी रहती है पर जिनकी नौकरी नही लगी है वे लोग अपना आजीविका के लिए कोयले के खदानों से कोयला चोरी करते हैं अफसोस और दुुखद आश्चर्य की बात है कि अपनी जमींन को कोल कंपनी को देना और अपनी ही जमीन में कोयला चोरी करकें अपना पेट पालना पड़ता हैं।
कोल कंपनी को जमींन से कोयला निकाल कर जमीन को समतल कर जमीन को वापस करना होता हैं मगर अजकल कोल कंपनी जमीन को समतल कर वापस नही देती हैं । उन जगहाें में कोल कंपनी अपना कार्यालय बना लेती हैं जबकि एग्रीमेंट पेपर में साफ लिखा होता हैं कि जमींन के अंदर से कोयला निकाल कर जमींन को समतल कर वापस देना होगा । मगर अमूमन जमींन वापस नहीं मिलता है जिसके कारण वहां के गरीबी झेलने को अभिशप्त रहते हैं।
सरकारी कंपनियां पूरी तरह से कोल माफिया के इशारो पर खेल रही हैं और बड़ी प्राइवेट कंपनी भी स्थानीय लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज करती हैं जिस – जिस क्षेत्र में कोल कंपनी हैं वहां यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि खनन के बाद क्षतिपुर्ति में पेड़ पौधों एवं जंगलों की स्थिति में सुधार हुआ हैं या नहीं , वहां के निवासियों को स्वास्थ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उसका क्या निदान हुआ? कोयले का परिवाहन करते समय पर्यावरण प्रदूषण के बचाव के लिए क्या अमल किया जा रहा हैं यह भी देखना चाहिए कि जिस कंपनी को राज्य के क्षेत्र में उत्पादन की जिमेंदारी मिली हैं कंपनी ने वहां के स्थानियों निवासियों व उनके आर्थिक , सामाजिक उत्थान के लिए क्या प्रयास किए । इन प्रयासों का परिनाम क्या निकला हैं और नही कर पाए तो इसके लिए जिमेंदारी भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता हैं केंद्र व राज्य सरकार को कोयला खानों के कारण हाे रहे प्रदूषण व नुकसान को रोकने के लिए सख्त निर्देश लेना चाहिए । यह याद रखने वाली बात हैं कि पर्यावरण संरक्षण में जितनी देरी होगी । क्षति उतनी ही बड़ी होगी और उसके निदान में भी समय अधिक लगेगा
भारत का कोयला उत्पादन में पांचवा स्थान हैं भारत का आंकडा़ देखा जा तो छत्तीसगढ़ 15 . 84 करोड़ टन , ओडिशा 15. 41 करोड़ टन , मध्यप्रदेश 13. 25 करोड़ टन और झारखंड में 11. 92 करोड टन उत्पादन होता हैं और इन सब राज्य में कोयला प्रचुरता के कारण ही आयरन फैक्ट्री एवं अन्य पावर प्लांट खुला हैं और जिस क्षेत्र में हैं वहा का वातावरण को प्रदूषित कर देता हैं जिसके कारण उस आस – पास के इलाका को दूषित पर्यावरण का सामना करना पडता हैं प्रदूषित पर्यावरण के कारण हजारो जाने जा चुकी हैं आज भी देश में कोयला उत्पादन की आधुनिक तकनीकों का अभाव हैं इसके कारण कोयला खदानों में दुर्घटनाओं की संभावने हमेश बनी रहती हैं। और उस आस- पास के इलाकों में भी दुर्घटनाओं का संभावना बनी रहती हैं ।
इंटर्न:स्कूल ऑफ मास कम्यु्निकेशन
रांची विश्वविद्यालय,रांची