देश में हैं धान की कई किस्‍में

निवेदिता

इस वर्ष  झारखंड  में  सुखाड़ सी स्थिति है ,सामान्‍य से 42 प्रतिशत  कम बारिश हुई है। ऐसे में झारखंड  के किसान कुछ ऐसी किस्‍म के  धान  की खेती  कर सकते  हैं  जिसमें  सिंचाई की आवश्‍यकता कम होती है। आइये इन किस्‍मों  को  जानते हैं।

1. जया धान (Jaya paddy variety)

धान की यह किस्म कम ऊंचाई वाली उन्नत किस्म है। इसके दाने लंबे तथा सफेद होते हैं। यह धान 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 82 सेंटीमीटर तक हो जाती है। BLB, SB, RTB तथा ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इसकी खेती भारत के सभी राज्यों में की जा सकती है। 

2. बासमती-370 (Basmati-370) 

धान की इस किस्म के पौधे लंबे तथा दाने सफेद होते हैं। यह 150 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की ऊंचाई 140 से 150 सेंटीमीटर तक हो जाती है। औसतन पैदावार 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है। इसकी खेती मुख्य तौर पर हरियाणा में की जाती है। 

3. पूसा सुगंध 3 (PUSA Sugandh 3)

इस किस्म के धान के दाने पतले और सुंगधित होता है। यह किस्म 120 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल होता है। इसकी खेती प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीगगढ़ में होती है। 

4. डीआरआर 310 (DRR 310) 

धान की यह किस्म अच्छी पैदावार वाली और किस्म है। दाने सफेद तथा मध्यम लंबे होते हैं। 125 से 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की ऊंचाई 90 से 95 सेंटीमीटर तक होती है। यह BLB तथा ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है। SB, GLH तथा BPH रोग के प्रति सहनशील किस्म है। इसकी खेती मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, बिहार, केरल तथा पश्चिम बंगाल में मुख्य तौर पर की जाती है। 

5. मकराम (Makram) 

धान की यह किस्म अच्छी पैदावार वाली अर्ध बौनी किस्म है। इसके दाने मध्यम लंबे होते हैं। यह 160 से 175 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। पौधे की ऊंचाई 111 सेंटीमीटर तक हो जाती है। पौधे में रोग तथा रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप नहीं होता है। औसतन पैदावार 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। 

6. हाइब्रिड -620 (Hybrid -620) 

यह अच्छी पैदावार वाली उन्नत किस्म है। इसके दाने चमकदार तथा लंबे होते हैं। 125 से 130 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। यह ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है। B.P.H तथा L.F रोग के प्रति सहिष्णु किस्म है। इसकी औसतन पैदावार 62 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है। 

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