कृष्ण कुमार मिश्र 9 अगस्त 2020
प्लास्टिक, संश्लिष्ट या प्राकृतिक कार्बनिक यौगिकों के एक समूह को कहते हैं जिन्हें मुलायम होने पर वांछित शक्ल देकर बाद में सख्त बनाया जा सकता है। प्लास्टिक शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के प्लास्टिकोस से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है बनाना, निर्मित करना। प्लास्टिक का आविष्कार सन 1862 में इंग्लैंड के अलेक्जैंडर पार्केस ने किया था। महज डेढ़ सदी में ही प्लास्टिक पूरी दुनिया में छा गया। आज वह एक भयावह पर्यावरणीय संकट का रूप ले चुका है। पूरी दुनिया में प्लास्टिक का प्रयोग बहुत तेजी से बढ़ा है। भारत में जहाँ हर व्यक्ति साल भर में औसतन 10 किलोग्राम प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है वहीं एक अमेरिकी 110 किलोग्राम प्लास्टिक का प्रयोग करता है।
दुनिया में हर साल करीब लाखों टन कूड़ा समुद्र में छोड़ दिया जाता है। इसमें अधिकांश प्लास्टिक होता है। ऐसा अनुमान है कि प्लास्टिक को स्वत: नष्ट होने में करीब 1000 साल लगता है। करीब 50 प्रतिशत प्लास्टिक हम केवल एक बार ही इस्तेमाल करके फेंक देते हैं। प्लास्टिक इतना मजबूत होता है कि यह अपने भार का 2000 गुना वजन संभाल सकता है। इसकी इसी खूबी के कारण प्लास्टिक का इस्तेमाल दिनोंदिन बढ़ा है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया में पेट्रोलियम पदार्थों की कुल खपत का करीब 8 प्रतिशत हिस्सा प्लास्टिक बनाने में खर्च हो जाता है।
प्लास्टिक ज्यादातर ओलिफीन्स नामक पेट्रोरसायन से प्राप्त होता है। प्लास्टिक आम तौर पर उच्च आणविक भार के बहुलक यानी पॉलीमर होते हैं। इन पॉलीमर के विशाल अणु कार्बन परमाणुओं की बृहद् श्रृंखला पर, या कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला के साथ ऑक्सीजन, सल्फर, या नाइट्रोजन पर आधारित होते हैं। ये बड़े कण हैं जिन्हें पॉलीमर कहते हैं जो कि छोटे-छोटे कार्बनयुक्त इकाइयों के दुहराने से बनते हैं जिन्हें मोनोमर यानी एकलक कहते हैं।
प्लास्टिक इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि इसकी लागत कम होती है तथा सस्ता होता है। इसे विभिन्न आकारों में सरलता से ढाला जा सकता है। प्लास्टिक का पैकेजिंग और घरेलू सामानों की व्यापक श्रृंखला में उपयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल यात्री विमान बनाने में भी किया जाता है। प्लास्टिक का प्रयोग वाहनों में भी किया जाता है। हम अपने आसपास दृष्टिपात करें तो सहज ही पाएंगे कि रोजमर्रा के हमारे जीवन में प्लास्टिक ने बहुप्रकारेण अन्यान्य रूपों में जबर्दश्त पैठ बना ली है।