पूरी जानकारी लेकर ही बायो फ्लॉक में मछली पालन प्रारंभ करें

आशीष कुमार
आजकल मछली पालन की एक नई तकनीक जिसे बायो फ्लॉक तकनीक कहते हैं बहुत तेजी से फैल रहा है। यह एक नई तकनीक है जिसमें लोहे की जाली तथा प्लास्टिक के सीट के प्रयोग से 10000, 20000, 30,000 लीटर क्षमता का कृत्रिम तालाब बनाया जाता है और उसमें मछली पालन किया जाता है।
दक्षिण पूर्व एशिया के देशों जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम इत्यादि में या बहुत ज्यादा प्रयोग में है। भारत में भी पिछले वर्ष से कई लोग बायो फ्लॉक का ताला बनाकर उसमें मछली पालन कर रहे हैं। क्योंकि इस तकनीक में तालाब की आवश्यकता नहीं होती है और खाली पड़े जमीन में आराम से 5-7 बायो फ्लॉक के टैंक अधिष्ठापन किए जा सकते हैं अत: इसका प्रसार काफी तेजी से हो रहा है। इस तकनीक में मुख्य बात यह है कि इसमें कम स्थान में अधिक मछलियां पाली जाती है तथा बैक्टीरिया के माध्यम से मछली के उत्सर्ग को भोजन में बदल दिया जाता है जिससे कृत्रिम भोजन की आवश्यकता कम हो जाती है। परंतु इसमें ऑक्सीजन का बहाव लगातार करना पड़ता है साथ ही लगभग प्रतिदिन अमोनिया की मात्रा, नाइट्रेट की मात्रा, नाइट्राइट की मात्रा, पानी का पीएच, बायो फ्लॉक की मात्रा इत्यादि की जांच करते रहना पड़ता है अन्यथा यदि प्रतिकूल स्थिति हुआ तो सभी मछलियों के मरने की आशंका रहती है। साथ ही ऑक्सीजन के बहाव को बनाए रखने के लिए बिजली की व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी पड़ती है। इसलिए बिना पूरी जानकारी के इसे प्रारंभ करने से कई लोग बीच में ही हताश होकर छोड़ दे रहे हैं।
भारत सरकार के द्वारा प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना में इसके लिए अनुदान की व्यवस्था भी की गई है परंतु मान्यता प्राप्त संस्थान से बिना प्रशिक्षण प्राप्त किए बायो फ्लॉक तकनीक से मछली पालन करना हानिकारक भी सिद्ध हो सकता है। इसमें मछली के प्रजाति का चयन भी ध्यान देकर करना चाहिए। जहां एक और छोटी प्रजातियां जैसे कवई, मांगूर,सिंघी तिलापिया इत्यादि सफलता से पाली जा रहे हैं वहीं रोहू, कतला इत्यादि के पालन में
उनके बड़े आकार के कारण कठिनाई हो रही है। इसलिए बायो फ्लॉक के लिए मछली के प्रजाति का चयन भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। अत: यदि किसान भाई उपरोक्त बातों पर ध्यान देते हुए बायो फ्लॉक प्रारंभ करेंगे तो उन्हें निश्चित सफलता मिलेगी। इस विषय में और अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिला के मत्स्य कार्यालय अथवा सीधे लेखक से संपर्क कर सकते हैं।
लेखक सेवानिवृत्त उपनिदेशक (मत्स्य विभाग) हैं
Ph. 9430783037 email:coomar2012@gmail.com

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