किसानों को मिलेगा सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य

झारखंड सरकार राज्य में सब्जी उत्पादक किसानों को राहत देने को प्रयासरत, इस चुनावी वादे के धरातल पर उतरने से सब्‍जी किसानों को होगा फायदा

मनोज कुमार शर्मा

झारखंड सरकार ने राज्य में सब्जियों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की पहल शुरू कर दी है। इसके लिये कृषि विभाग कमिटी बना कर अध्ययन करने जा रहा है। चुनाव से पहले किसानों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य का वादा भी किया गया था जो संभवत: सरकार अब पूरा करने जा रही है। कृषि क्षेत्र के लिये यह राज्य सरकार की ओर से बहुत ही सकारात्मक पहल है।
झारखंड सरकार का ऐसे स्टोर भी खोलने का प्रस्ताव है जहां किसान अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे। ऐसे स्टोरों का मुख्य उद्देश्य यह होगा कि जब किसानों को कहीं अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा हो तो राज्य सरकार इन स्टोरों में खरीद के माध्यम से एमएसपी मूल्य उपलब्ध करायेगी।
झारखंड सब्जी उत्पादन में एक अग्रणी राज्य है। लंबे समय से यहां के किसान अपने परिश्रम से प्रचुर मात्रा में सब्जियों की खेती करते रहे हैं और यहां से सब्जियां देश ही नहीं बल्कि विदेशों को भी भेजी गयी हैं। लेकिन इसके साथ ही एक दुखद पहलु भी जुड़ा हुआ है कि एक सब्जी उत्पादक राज्य होने के बाद भी यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। अब राज्य सरकार के एमएसपी तय करने का प्रयास धरातल पर उतरता है तो निश्चय ही राज्य के सब्जी कृषकों के लिये यह बहुत बड़ी सौगात होगी।  अब तक राज्य में ऐसा भी होते आया है कि किसान खून पसीने से उपजायी गयी अपनी सब्जियों को मंडी में लागत भी न मिलने की स्थिति में वहीं छोड़ कर आ जाता था। उसे वापस ले जाने में ढुलाई का खर्च भी एक तरह से दंड था। ऐसे में राज्य सरकार का यह फैसला बहुत ही महत्वपुर्ण है।

बिचौलियों के लिये कुख्यात है झारखंड

झारखंड इस बात के लिये कुख्यात रहा है कि यहां जो किसान सब्जी उगाता है उसकी हालत ज्यों कि त्यों रहती है पर जो एक दाना भी नहीं उगाता वह बिचौलिया यहां कमा कर अमीर हो जाता है। यहां के बिचौलिये खुद महंगी कारों से मंडी में आते हैं और मनमर्जी से सब्जी की कीमत तय कर किसानों से सब्जी का उठाव करते हैं। राज्य में सब्जी व्यापार में मौजूद बिचौलिये किसी माफिया से कम नहीं है। इन बिचौलियों की एकता और मनमानी के आगे सब्जी उगाने वाला किसान बिल्कुल ही नीरीह हो जाता है और उसे बिचौलियों के तय किये गये कीमत पर ही अपनी उपज बेचना पड़ता है।
झारखंड में वैसी सब्जियों का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है जो अन्य राज्यों में सिर्फ अपने मौसम में ही पैदा होते हैं। इस कारण से यहां की सब्जियों की डिमांड सदैव रहती है जिन्हे देश के अन्य हिस्सों में भी भेजा जाता है। सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य के तय कर देने के बाद संभवत: इन बिचौलियों की पकड़ कमजोर होगी।

फूड प्रोसेसिंग प्लांट भी हैं जरूरी
रघुवर दास सरकार ने बहुत ही तामझाम से रूक्का में फूड प्रोसेसिंग प्लांट बनाने का प्रयास किया था, पर अंतत: यह प्लांट चालू नहीं हो सका। और करोड़ो की लागत के बाद भी यह प्लांट कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण बेकार हो गया। जिसे बाद में लीज पर देने या नीलाम करने की बातें भी हुयीं। अगर यह अकेला प्लांट भी चाालू हो जाता तो किसानों को अपनी उपज औने पौने दामों पर बेचने की नौबत नहीं आती। वर्तमान सरकार अगर इस दिशा में भी काम करे तो किसानों के लिये यह बहुत ही फायदेमंद होगा।

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