तीन लाख साल पहले धरती पर मनुष्यों की 9 प्रजातियों का प्रादुर्भाव हुआ। वर्तमान में केवल एक प्रजाति ही बची है। इनकी एक प्रजाति थी होमो निअंडरथलेंसिस जिसे निअंडरथल्स के नाम से जाना जाता था। ये नाटे शिकारी थे और यूरोप के ठंडे मैदानों में रहने के अभ्यस्थ थे। इसी तरह डेनिसोवंस प्रजाति एशिया में रहती थी जबकि आदिम प्रजाति होमो इरेक्टस इंडोनेशिया और होमो रोडेसिएंसिस मध्य अफ्रीका में पाई जाती थी। इनके समानांतर कम ऊंचाई और छोटे मस्तिष्क वाली मनुष्यों की अन्य प्रजातियां भी थीं। दक्षिण अफ्रीका में होमो नलेदी, फिलीपींस में होमो लूजोनेंसिस, इंडोनेशिया में होमो फ्लोरेसिएंसिस (होबिट्स) और चीन में रहस्यमय रेड डियर केव प्रजाति के मानव होते थे।
जिस तरह से हमें बहुत जल्दी नई-नई प्रजातियों का पता चल रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अभी और प्रजातियों की जानकारी सामने आएगी। उपरोक्त प्रजातियां करीब 10 हजार साल पहले खत्म हो गईं। इन प्रजातियों की विलुप्ति को मास एक्सटिंग्शन यानी व्यापक विलुप्ति के रूप में देखा जा रहा है। क्या ये विलुप्ति प्राकृतिक कारकों जैसे ज्वालामुखी फटने, जलवायु परिवर्तन या एस्टोरॉइड प्रभाव का नतीजा थी? यह कहना मुश्किल है क्योंकि अब तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं। मनुष्यों की विलुप्ति की टाइमिंग बताती है कि उनका गायब होना एक नई प्रजाति के उदय का नतीजा हो सकती है। जिसका नाम था होमो सेपियंस। आधुनिक मानव इसी प्रजाति से संबंध रखता है।