ग्रामीण तालाबों का उपयोग मछली पालन के लिए करें

राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी गांव में तालाब उपलब्ध है। यदि उनका स्वामित्व देखा जाए तो आप पाएंगे कि कुछ तालाब सरकारी तालाब हैं, कुछ तालाब सामुदायिक तालाब है और कुछ तालाब बहु स्वामित्व वाले तालाब हैं जिनके कई मालिक हैं और कुछ तालाब एकल स्वामित्व वाले हैं।
यदि गहन सर्वेक्षण किया जाए तो पाया जाएगा कि लगभग 40% तालाबों में मछली पालन नहीं हो रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। संभव है कि तालाब गांव में है परंतु उसके जो मालिक हैं वह अपने व्यवसाय या नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं। ऐसा भी होता है कि तालाब के कई मालिक हैं जिनकी आपस में एकमत नहीं है और मछली का लाभ के बंटवारे को लेकर ऐसी स्थिति हो गई है कि कोई तालाब का उपयोग मछली पालन के लिए नहीं कर रहा है। लगभग यही स्थिति सामुदायिक तालाबों में भी है। कहीं-कहीं जहां पंचायत के लोग जागरूक हैं वहां आपस में चंदा करके मछली के बीज को तालाब में संचय करते हैं और जो भी मछलियां निकलती है उसे पूरे गांव में बांट लेते हैं।
कहीं-कहीं किसी विशेष प्रयोजन के लिए जैसे गांव में किसी सामाजिक कार्य जैसे स्कूल के भवन की मरम्मती, सड़क निर्माण अथवा किसी सांस्कृतिक कार्य के प्रयोजन से भी मछली पालन किया जाता है और उसके लाभ का

उपयोग उन कार्यों में किया जाता है। परंतु अभी भी बड़ी संख्या में तालाब मछली पालन से वंचित है। ऐसे में यदि ग्रामीण युवक विशेष करके वैसे प्रवासी युवक जो बाहर से वापस आए हैं उनके लिए यह एक बहुत बड़ा अवसर है।सरकार के मत्स्य विभाग के द्वारा मत्स्य पालन में न केवल प्रशिक्षण दिया जाता है बल्कि मत्स्य बीज, मछली का दाना और जाल की आपूर्ति करके भी सहायता प्रदान की जाती है।
हम सभी जानते हैं कि मछली से ना केवल पौष्टिक आहार प्राप्त होता है बल्कि इसकी बिक्री से आर्थिक लाभ भी होता है। ऐसे में इस अवसर को पहचान कर ग्रामीण बेरोजगार नवयुवक अकेले अथवा एक समूह बनाकर यदि उनके गांव में बिना उपयोग के तालाब उपलब्ध हैं तो निश्चित रूप से उन्हें उन में मछली पालन करना चाहिए। इससे गांव के लोगों को ताजी मछली मिलेगी और उन्हें रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कभी-कभी किसान भाई इस बात से चिंतित हो जाते हैं कि उन्हें जो तालाब मिला है वह मौसमी है। ऐसी स्थिति में उन तालाबों का उपयोग मछली के बीज के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। मछली के बीज की भी बहुत अधिक मांग है जो अधिकांश बाहर से आते है। यदि स्थानीय स्तर पर बीज का उत्पादन हो तो उससे भी तालाबों में बीज के संचयन में सहायता मिलेगी और किसान को लाभ प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त यदि बांध पर जमीन उपलब्ध है तो उस पर मौसमी सब्जियों का उत्पादन करके अपने भोजन में पौष्टिक आहार की वृद्धि कर सकते हैं। इस प्रकार तालाबों का उपयोग मछली पालन अथवा मछली बीज उत्पादन तथा साथ में सब्जी उत्पादन करके ना केवल इस संसाधन का उपयोग किया जा सकता है बल्कि स्थानीय स्तर पर ही रोजगार सृजित किया जा सकता है।यदि क्षेत्र में कोई बेरोजगार नवयुवक आगे बढ़ना चाहते हैं तो तकनीकी सलाह के लिए लेखक से संपर्क कर सकते हैं।

लेखक सेवानिवृत्त उपनिदेशक (मत्स्य विभाग) हैं
Ph. 9430783037
email:oomar2012@gmail.com

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