मांसाहारी भोजन में मछली एक सुपाच्य भोजन है यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है और समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ है। जहां तक झारखंड राज्य की बात है तो यहां मांसाहारी भोजन करने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है जिसके कारण मछली की मांग बहुत अधिक है इस कारण से इसका उत्पादन करना एक लाभदायक व्यवसाय है । साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह बहुत ही लाभदायक है। मछली में प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम और फास्फोरस भी मिलता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं , आंखों की रोशनी बढ़ती है, डायबिटीज का स्तर कम होता है और मछली में उपलब्ध ओमेगा 3 फैटी एसिड एक ऐसा पदार्थ है जिसमें वसा को गलाने की शक्ति है। इससे मछली खाने वाले लोगों में कोलेस्ट्रोल की कमी रहती है और ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है। इसके अतिरिक्त मछली खाने से शरीर में स्फूर्ति रहती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है ।इस तरह से मछली सुपाच्य भोजन है और इसकी मांग बहुत है । जहां तक व्यवसाय का सवाल है तो हर प्रकार की मछली हर आकार में बिक्री योग्य होती है इसलिए जिनके पास भी मछली पालन के योग्य तालाब अथवा जलाशय हैं उन्हें अवश्य ही मछली पालन अपनाना चाहिए। इससे ना केवल अच्छी आमदनी होगी बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा । झारखंड में मछली की मांग इतनी अधिक है कि स्थानीय उत्पादन से मांग पूरा नहीं होता और राज्य को अन्य राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश पश्चिम बंगाल और बिहार से मछली मंगाना पड़ता है। इस तरह से देखें तो जितनी भी मछली तालाबों या जलाशयों में उत्पादित होंगी उनके लिए बाहर में बाजार खोजने की आवश्यकता नहीं होगी। इस व्यवसाय में जिन चीजों की आवश्यकता होती है जैसे मछली का बीज, मछली के भोजन के लिए सरसों की खली धान का कूड़ा, तालाब में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए चुना तथा प्राकृतिक रूप से भोजन के उत्पादन के लिए गोबर इत्यादि ये सब स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाता है सामान्य रूप से मछली पालन करने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में इसे आसानी से किया जा सकता है।
सरकार के द्वारा भी मछली की मांग तथा भोजन में प्रोटीन उपलब्ध कराने की इसकी क्षमता को देखते हुए व्यापक स्तर पर मछली पालन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से 20050 करोड रुपए की योजना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लागू किया गया इसमें मछली पालन से संबंधित कई तरह के कार्यकलाप जैसे नया तालाब बनाना, नया हेचड़़ी बनाना फीड फैक्ट्री बनाना, आइस फैक्ट्री बनाना, कोल्ड स्टोरेज बनाना, बायो फ्लॉक करना रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर करना, मछली बिक्री के लिए स्टॉल बनाना, मछली के परिवहन के लिए इंसुलेटेड वाहन बनाना, रंगीन मछली पालन करना इत्यादि विभिन्न प्रकार के कार्यकलापों के लिए अनुदान का प्रावधान किया गया है। अतः इसका लाभ उठाते हुए किसान भाई अपने जिले में आवेदन कर सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकते हैं। सरकार के द्वारा प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता की व्यवस्था है जिससे कि जो भी किसान इस दिशा में आगे बढ़ेंगे उन्हें भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। इस विषय पर विशेष जानकारी के लिए मेरे फोन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।
आशीष कुमार
सेवानिवृत्त उपनिदेशक
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