एनजीटी को प्राप्त रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों का जिक्र किया गया है जहां पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया गया है
● सीईटीपी से निकल रहे एफ्लुएंट की गुणवत्ता तय सीमा से कहीं ज्यादा
खराब थी और वो निरंतर नियमों को अनदेखा कर रहा था।
● सीईटीपी का हाइड्रोलिक लोड तय सीमा से कहीं ज्यादा था, साथ ही उससे
निरंतर अवैध रूप से कचड़ा निकल रहा था।
● सीईटीपी में स्लज का ठीक तरह से प्रबंधन नहीं हो रहा था, साथ ही उसमें
निरंतरता का भी आभाव था।
● सीईटीपी की सभी प्रमुख ट्रीटमेंट यूनिट्स और स्लज जमा करने इकाइयां
ठीक से काम नहीं कर रही थी।
● सीईटीपी का इनलेट और आउटलेट फ्लो मीटर की माप सही नहीं थी साथ
ही उसका ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम भी काम नहीं कर रहा था।
तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) पर दूसरी संयुक्त जांच रिपोर्ट 16 सितंबर, 2020 को आम जनता के लिए उपलब्ध कर दी गई है। यह रिपोर्ट एनजीटी के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत द्वारा तैयार की गई है। एनजीटी ने इस मामले में 22 सितंबर, 2019 और 26 सितंबर, 2019 को आदेश जारी किए थे।गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी ने सीपीसीबी को निर्देश दिया था कि वो एमपीसीबी के साथ मिलकर इस सीईपीटी की व्यापक निगरानी करे और उसपर हर तीन महीने के अंदर नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करे। रिपोर्ट के अनुसार 12 मार्च, 2020 को संयुक्त जांच के समय इस सीईटीपी से विभिन्न नमूने लिए गए थे। जिनके विश्लेषण से पता चला है कि 13 नवंबर, 2019 को की गई पिछली जांच के बाद से इस प्लांट के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया है।