ओटीसी मैदान पर फिर से संकट

● रांची सांसद संजय सेठ ने मैदान बचाने के लिये मुख्य सचिव को लिखा पत्र
● हेहल क्रिकेट अकादमी के सदस्यों ने भी ओटीसी मैदान को बचाने के लिये कमर कसी

किसका मालिकाना हक है ओटीसी के आस पास की जमीन पर?
ग्रीन रिवोल्ट ने जब पिछली बार ओटीसी मैदान के बारे में खबर प्रकाशित की थी। उस वक्त यह दावा किया गया कि यह सारी जमीन स्व. दलीप शाहदेव की है जिसे उनके पुरखों ने विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों को सैनिकों के लिये किराये पर दिया था। यहां हब्शी सैनिकों के बैरक बनाये गये थे इसलिये इसे हब्शी कैंप नाम से जाना जाता है आजादी के बाद भारत सरकार ने इस जमीन को ले लिया और इसमें सरकारी गोदाम, सर्ड का कार्यालय, स्कूल तथा अतिक्रमण कर ढेर सारे मकान बना लिये गये हैं। दिलीप शाहदेव की पत्नी आज भी मालिकाना हक के लिये केस लड़ रही हैं और उनका कहना है कि मुझे खुशी होगी अगर सरकार मुझे मुआवजा देकर ओटीसी मैदान को अधिग्रहित कर उसे खेल मैदान के रूप में विकसित करे। फिलहाल सच्चाई भविष्य के गर्भ में है।

रांची : ओटीसी मैदान पर फिर एक बार खतरा मंडरा रहा है। सूचना है कि भूमाफियाओं की नजर फिर से इस विशाल भूखंड पर है और इसे बेचने का प्रयास हो रहा है। सुधि पाठकों को याद होगा कि 8 दिसंबर 2019 अंक में ग्रीन रिवोल्ट ने इस मैदान के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित किया था।
पिस्का मोड़ से आगे हब्शी कैंप इलाके में चारो ओर वृक्षों से घिरा एक विशाल मैदान है जिसे ओटीसी मैदान कहते हैं। वर्तमान में इस पूरे इलाके में यही एक मैदान है जहां बच्चो से लेकर खेलप्रेमियों को जगह उपलब्ध है। कुछ साल पहले इस मैदान और इसके आस पास के भूखंड को बेच दिया गया था पर उस वक्त लोगांे के विरोध और प्रबुद्ध लोगों की पहल से यह मैदान बच गया। तब इसके कैंपस में स्थित आवासों में बाहर से ताला मार कर किसी खरीददार ने इसकी जमीन पर अपना अधिकार जताया था। और बहुत विरोध और मामले के कोर्ट मेंजाने के बाद ही इसके बिक्री पर रोक लग सकी थी। आज फिर से यह चर्चा है कि इस मैदान को बेचने की तैयारी हो रही है जिसे लेकर सांसद संजय सेठ तक पत्र लिख रहे हैं मैदान को बचाने का प्रयास हो रहा है।