छत्तीसगढ में आयोजित कार्यशाला में संजीव कुमार पीसीसीएफ-सह सदस्य सचिव झारखंड जैव विविधता बोर्ड ने भाग लिया और जैव विविधता बोर्ड और वन विभाग के माध्यम से आदिवासी लोगों और सभी ग्रामीणों के लिए तसर और लाह उत्पादन के माध्यम से राज्य में आजीविका सृजन की संभावनाओं के बारे में प्रस्तुति दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि झारखंड भारत में लाह का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसे झारखंड में कृषि उत्पाद का दर्जा प्राप्त है। लेकिन इसके उत्पादन को बढ़ाने की बहुत संभावना है। उन्होंने लाह की खेती से संबंधित मुख्य समस्याओं पर प्रकाश डाला। संरोपण अवधि के दौरान ब्रूडलैक की कमी उनमें से एक है। उनके द्वारा दिए गए कुछ सुझाव- केंद्रीय रेशम बोर्ड की तरह लाह बोर्ड का निर्माण, ब्रूड लाह फार्म को बढ़ाना, क्षमता निर्माण, विपणन, खरीद नीति, लाह के मूल्य संवर्धन के लिए क्लस्टर का गठन, अनुसंधान और प्रशिक्षण को मजबूत करना आदि। लाह विकास बोर्ड के निर्माण की उनकी अवधारणा की सराहना की गई।
रांची/रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा नीति आयोग, नई दिल्ली के सहयोग से “जनजातीय समुदायों के लिए वन-आधारित आजीविका के अवसर” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला 28 मार्च को दंडकारण्य सभागार, अरण्य भवन, नया रायपुर, छत्तीसगढ़ में संपन्न् हुआ । कार्यशाला का उद्देश्य वन आधारित आजीविका के विभिन्न आयामों का पता लगाना है, जिसमें वन उत्पादों, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और वन संसाधनों के सतत उपयोग और जनजातीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास में उनकी भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसमें मंत्रालयों, राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले 120 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यशाला में आदिवासी समुदायों की वन आधारित आजीविका में पहल, चुनौतियों और अवसरों पर स्थिति/नवीनतम जानकारी साझा करना। वन आधारित आजीविका के नवीन अवसरों और प्रबंधन दृष्टिकोणों पर चर्चा करना तथा देश भर में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और हितधारकों के बीच सहयोग के अवसरों की खोज करना तथा आदिवासी समुदायों के लिए वन आधारित आजीविका के लिए नीतिगत समर्थन की पहचान करना मुख्य उद्देश्य रहा।