- श्वेता कुमारी
पीजी इंटर्न, स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय, रांची
धनबाद के झरिया क्षेत्र में कोयला खदानों में लगी आग एक गंभीर और स्थायी समस्या है, जो पिछले सौ साल से भी अधिक समय से जारी है। इस आग ने क्षेत्र में कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न की हैं जैसे जमीन धंसने की घटनाओं के कारण मकान और अन्य संरचनाएं ध्वस्त हो रही हैं।झरिया क्षेत्र में लगातार जलती कोयला खदानों से निकलने वाला धुआं और विषैली गैसें स्थानीय निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रही हैं। यहाँ के लोगों को श्वसन संबंधी रोग, त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट, वनस्पतियों का विनाश, और जल स्रोतों का प्रदूषण हो रहा है। 2021 अगस्त तक झरिया के एक लाख लोगों को पुनर्वास करना था, पर अभी तक सिर्फ ढाई हजार लोगों को ही पुनर्वास मिला है,अभी तक 595 क्षेत्र “अग्नि” प्रभावित हैं। दिन-ब-दिन यह समस्या और बढ़ रही है, भूमि आग के कारण धस्ती जा रही है। इस “कोयले” की आग के कारण बहुत से लोगों की मौते हो चुकी है। भारत सरकार को जो लोग अपने घरों को खो चुके हैं, उन्हें पुनर्वास के लिए ठहरने की सुविधा और आवश्यक सामग्री प्रदान की जानी चाहिए। प्रभावित लोगों को तत्काल आवश्यक खाद्य, पानी और औषधियां प्रदान करनी चाहिए। यह स्थानीय संगठनों, सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से किया जा सकता है।