गुमला, झारखंड: झारखंड के गुमला जिला के सिसई प्रखंड में स्थित नवरत्न गढ़ का किला नागवंशियों की एक अमिट धरोहर है. इस ऐतिहासिक नवरत्न गढ़ की पुरातात्विक खुदाई में अत्यंत प्राचीन भूमिगत महल की संरचना प्राप्त हुई है. माना जा रहा है कि जमीन के अंदर बनाया गया, यह महल लगभग साढ़े पांच सौ से छह सौ साल पुराना है. महल और उसके आस-पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा करायी जा रही खुदाई में कई महत्वपूर्ण अति प्राचीन अवशेष मिले हैं. इस नवरत्न गढ़ की स्थापना नागवंशी राजा दुर्जन शाल ने किया था. अरसे तक उपेक्षित रहने के बाद भारत सरकार ने 27 सितंबर 2019 में इसे राष्ट्रीय धरोहर की मान्यता दे दी. नवरत्न गढ़ डोयसा गांव में होने के कारण इसे डोयसागढ़ भी कहा जाता है. झारखंड की राजधानी रांची से इसकी दूरी मात्र 70 किलोमीटर है.
इतिहास की माने तो नागवंशी मूल रूप से शैव थे. अपनी सुरक्षा और धर्म की रक्षा के लिए ये अपनी राजधानी हमेशा बदलते रहते थे. आज भी उनके साक्ष्य झारखंड के कई क्षेत्रों में बिखरे हुए दिखते हैं. नागवंश के संस्थापक दुर्जन शाल का शासन काल मुगल शासक जहांगीर के समय का माना जाता है. लगान नहीं देने के कारण मुगल सूबेदार इब्राहिम खान ने दुर्जन शाल को 1615 ई. में बंदी बना लिया था. हीरे का पारखी होने के कारण जहांगीर ने उन्हें 1627 ई. में छोड़ दिया. दुर्जन शाल को कैद से रिहा करने के बाद जहांगीर ने दुर्जन शाल को एक वास्तुकार भेंट किया था. दुर्जन शाल बहुत ही सामान्य और मिलनसार व्यक्ति थे, लेकिन मुगलों के कैद में रहकर उन्होंने राजसी ठाठबाट देख लिया था, इसलिए राजा दुर्जन भी अपने लिए यहां महल बनवाया.
पांच मंजिला इमारत वाले इस महल की खास बात यह थी कि चारों ओर सैनिकों के लिए गुप्त भवन बने हुए थे. रानी के लिए एक अलग महल था. महल से सटा एक विशाल तालाब है. इस तालाब तक जाने के लिए एक सुरंग भी बना हुआ है. तालाब के किनारे काफी सारे मंदिर भी बने हुए हैं. नागवंश शासन काल दुनिया के लिए एक अजूबा ही है, क्योंकि इसकी शुरुआत प्रथम शताब्दी में हुई थी और आज तक उसके अवशेष यहां मौजूद हैं, यह किसी आश्चर्य से कम नहीं.पुरातत्व विभाग ने एक साल पहले नवरत्न गढ़ की खुदाई की, यहां जमीन के अंदर कई खुफिया भवन और महल मिले हैं, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. वहीं पुराने भवन खंडहर हो गए हैं. इसकी मरम्मत का काम चल रहा है. पुरानी तकनीक से हल्की मरम्मत की जा रही है, ताकि इसे गिरने से बचाया जा सके. झारखंड के प्रमुख यादगार स्मारकों में नवरत्न गढ़ को शुमार किया जाए, और शासन की ओर से इसके रख-रखाव के प्रति बढ़ी चेतना ने फिर से इसे दर्शनीय बनाईं जाए. सरकार अब राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने पर काफी काम कर रही है. इसलिए उम्मीद है कि किले के जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए जाएंगे. वह दिन दूर नहीं जब नवरत्न गढ़ किला अपने पूर्व रूप में जगमगायेगा और नई पीढ़ी स्वर्णिम इतिहास के दर्शन कर पाएंगे और इससे झारखंड पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा.