हीट वेव और लू का आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है, जानें

अमित कुमार महताे

पीजी इंटर्न, स्‍कूल ऑफ मास कम्‍युनिकेशन

रांची विश्‍वविद्यालय, रांची

देश के कुछ हिस्सों में प्रचंड गर्मी से लोगो का हाल बेहाल है। हर साल उत्तरोत्तर बढ़ती गर्मी अपना ही रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है। यह बढ़ती गर्मी हीट वेव या लू की घटनाओं को जन्म देती है। राजधानी दिल्ली में इमरजेंसी जैसे हालत हैं, तापमान 47 डिग्री से 52.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जा रही। हालांकि ,झारखंड ,बिहार ,उत्तर प्रदेश में भी लोगो का गर्मी से हाल बुरा है। आपके जानकारी के लिए बता दूं कि हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि है जो आमतौर पर दो या उससे अधिक दिनों तक रहती है। नौतपा से लोगो को गर्मी सता रही है। जब तापमान किसी दिए गए क्षेत्र के ऐतिहासिक औसत से अधिक हो जाता है तो उसे हीट वेव या लू कहते हैं।

आईएमडी के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो लू चलने लगती है। यदि तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तो इसे खतरनाक लू की श्रेणी में रखा जाता है। तटीय क्षेत्रों में जब तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो हीट वेव चलने लगती है।

हीट वेव या लू की घटनाएं मानव और पशु जीवन को नुकसान पहुंचाती हैं। हीट वेव आमतौर पर शरीर में पानी की कमी, थकावट होना, कमजोरी आना, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना होना और लू लगना या हीट स्ट्रोक आदि शामिल हैं। हीट वेव की वजह से मानसिक तनाव भी हो सकता है। लू लगने के लक्षणों में गर्मी से शरीर में अकड़न, सूजन बेहोशी और बुखार भी आ सकता है। यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो दौरे पड़ सकते हैं या इंसान कोमा में भी जा सकता है।

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