ग्लोबल वार्मिंग की समस्या आए दिन देखने को मिल रही है यह केवल राष्ट्र नहीं वैश्विक चिंता का विषय है. वैश्विक तापमान के वृद्धि से तूफान, बाढ़ ,जंगल की आग,बर्फ का पिघलना, सुखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है.
ग्लोबल वार्मिंग का कारण –
जैसे कुछ गैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन पृथ्वी के वातावरण में सूरज की गर्मी को अपने अंदर रोकती हैं,यह ग्रीनहाउस गैस(जीएचजी) वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से मौजूद है.
परंतु मानव गतिविधियों ,फ्रिज, एयर कंडीशनर,बिजली वाहन, कारखानों और घरों में जीवाश्म ईंधन यानी (कोयला, प्राकृतिक गैस और तेल) के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है, और भी अनेक गतिविधियां भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती है।
अभी गर्मियों के मौसम में देखा जाए तो अत्यधिक लोग “एसी” का प्रयोग करते हैं इससे तुरंत गर्मी से राहत तो मिल जाती है,परंतु यह कितना हद तक हमारे शरीर एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है इसका अंदाजा तक नहीं.
हाल में ही दुबई,राजस्थान जैसे इलाकों में बाढ़ देखने को मिला है. पर्यावरण का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि, “इस बार सर्दियों पर जलवायु परिवर्तन का ऐसा प्रभाव पड़ा है जिसके चलते बसंत ऋतु ही गायब हो गई है”।
एक दौर हुआ करता था जहां हम गर्मियों में पेड़ों की छांव में लेटा करते थे,और कुंआ या घड़ा का ठंडा पानी पिया करते थे, पूरा वातावरण शुद्ध और स्वच्छ हुआ करता था,पर जब से नगरीकरण हुआ,लोग रास्ते और विकास के नाम पर पेड़ों को काटने लगे। अभी भी देखा जाए हमारे चारों तरफ जहां ऐसी भीषण गर्मी पड़ रही है,हमें तलाश रहती है, पेड़ों की जहां के छांव में हम बैठ सके और हमारे वाहन को पार्किंग कर सके, पशु (कुत्ता, बिल्ली,गाय, बकरी इत्यादि) को भी छाया की आस रहती हैं। पर पेड़ों की कटाई से हमें न पेड़ों की छाया मिल रही बल्कि और अत्यधिक गर्मी से हम लू के चपेट में आ रहे हैं.
अभी भी इसे रोका नहीं गया तो आने वाले समय में पूरे देश की दशा बेहाल हो जाएगी,जगह-जगह पर बाढ़, सूखा,भू- संकलन , बारिश और अन्य आपदा देखने को मिलेगी।