कांके डैम में ही अतिक्रमण कर बना दिया ओयो होटल

संवाददाता

रांची : कांके डैम के कैचमेंट में ही एक निर्माण  कर उसमें एक ढाबा सह ओयो होटल खोल दिया गया है। जब हमारे संवाददाता ने कांके डैम (गोंदा)में जलकुंभी के भरे होने की जानकारी के लिये वहां का दौरा किया तो वहां डैम के कैचमेंट में एक बड़ा सा निर्माण और उसके अहाते में कई केबिन बने दिखे। इसके ऊपर ओयो होटल का बोर्ड भी लगा दिखा। पता करने पर जानकारी मिली कि इस होटल को पहले ही बनाया गया था जो पूरी तरह से डैम के कैचमेंट में है, पर कुछ सालों पहले अतिक्रमण हटाने के दरम्‍यान इसे ध्‍वस्‍त किया गया था, पर बाद में सब कुछ शांत होने पर इसे फिर से दुरूस्‍त कर इसमें कोई गार्डेन नाम से ढाबा रेस्‍टोरेंट बना लिया गया है और ऊपर ओयो होटल का बोर्ड भी लगा दिया गया है। यह सब तब हो रहा है जब हाइकोर्ट से लेकर सरकार प्रशासन तक कांके  डैम  की सफाई  और अतिक्रमणमुक्ति में जुटा हुआ है।

सबसे किनारे और बहुतों की नजर से ओझल है यह इलाका

कांके डैम में जहां यह रेस्‍टोरेंट और ओयो होटल बना है वहां  पंडरा की ओर से आने वाली नदी विस्‍तृत  होकर डैम में मिलती है और डैम के लिये एक बड़े से कैचमेंट का निर्माण करती है। यह होटल उसी कैचमेंट में बना है। इसी इलाके में एक पुल बना है जिससे होकर जनक नगर, पिस्‍का मोड़, रातू रोड से डैम के उस पार नवा सोसो और कांके रोड रौक गार्डेन की ओर का रास्‍ता जाता है। हालांकि इस होटल से सटे हुये और भी कई मकान , खटाल और निर्माण डैम के कैचमेंट में ही बने हुये हैं। जिन्‍हे कुछ साल पहले सरकार ने अतिक्रमण हटाने के दौरान तोड़ दिया था, लेकिन अब फिर से सभी वापस डैम में काबिज हो गये  हैं।

किसी को पता नहीं कि डैम में सरकार ने यह निर्माण किस लिये करवाया ?

एक दशक से भी पहले कांके डैम में सरोवर नगर और जनक नगर के इलाके में मोटे सीमेंट का पाइप बिछाया गया। यह निर्माण किस लिये कराया गया ? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। पाइप बिछा कर डैम के एक इलाके को घेर दिया गया जिससे अलग थलग पड़े बड़े से हिस्‍से में जलकुंभियों ने  कब्‍जा जमा लिया। करोड़ो खर्च कर बनाये गये पिलर और पाईप का काम पूरा नहीं हुआ और उसे यूं ही छोड दिया गया। अब यह टूटे हुये पाइप और जलकुंभी से भरा पड़ा है। पाइप के कारण्‍ इस इलाके में जलकुंभी साफ करने वाली मशीन भी नहीं घुस सकती।

जलकुंभी, प्रदूषण , अतिक्रमण से बर्बाद है कांके डैम  

पिछले कुछ दिनों से कांके डैम जलकुंभी और प्रदूषण के कारण खबरों में है। हर अखबार और पर्यावरण प्रेमी कांके डैम जिसे गोंदा जलाशय भी कहते हैं इसके जलकुंभी से भरे होने को लेकर चिंतित रहा । इसके प्रदूषण और जलकुंभी को देखते हुये कांके डैम का नामकरण कचड़ा डैम कर दिया गया था। अंतत:  झारखंड हाइकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया  और सरकार को जलाशयों से जलकुंभी हटाने का आदेश दिया गया। हाल के कुछ दिनों में एक बड़े इलाके से जलकुंभी हटाया भी गया है, पर अभी भी रौक गार्डेन इलाके में जलकुंभी की भरमार है। रौक गार्डेन पहाड़ी के नीचे बने पार्क में खतरनाक पार्थेनियम घासों का कब्‍जा है। अभी जलकुंभी हटाने और एक एंफिबियस मशीन से डैम से गाद सफाई का काम हो रहा है, पर इसे युद्ध स्‍तर पर करने की आवश्‍यकता है। क्‍योंकि रांची के बड़े इलाके की जलापुर्ति कांके डैम से ही होती है। कांके रोड में इस जलाशय  की ओर जाने वाली सड़क पर बोर्ड भी लगा  है ”कांके डैम जल विहार ” जाड़ों  में यह डैम प्रवासी पक्षियों से गुलजार रहता है लेकिन  फिलहाल यह संकट में है।

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