रोजगार के लिये करें मत्स्‍य बीज उत्पादन

आशीष कुमार

तालाबों   में मछली उत्पादन में जैसे-जैसे वृद्धि हो रही है वैसे-वैसे मछली के बीज का मांग भी बढ़ रहा है। देखा जाए तो पूर्व से पश्चिम बंगाल का बांकुड़ा जिला का राम सागर ग्राम और कोलकाता के निकट नैहाटी मत्स्य बीज के प्रमुख केंद्र रहे हैं। बहुत सारे किसान भाइयों को मछली बीज की उपलब्धता को लेकर भी समस्यायें आती रहती हैं।  कई तो इसकी उपलब्धता में समस्याओं के कारण मछली पालन को एक मुश्किल पेशा समझते हैं। परंतु यदि प्रयास किया जाए तो अन्य क्षेत्रों में भी बीज उत्पादन किया जा

सकता है। मछली पालन के लिए बीज की आवश्यकता बनी रहती है। कभी-कभी तो समय पर बीज नहीं मिलने के कारण कई किसान मछली पालन नहीं कर पाते है। इस प्रकार मछली के बीज का उत्पादन के क्षेत्र में बहुत बड़ा अवसर है जिसका लाभ छोटे तालाबों के मालिक ले सकते हैं। सरकार के द्वारा मत्स्य बीज उत्पादन के लिए प्रशिक्षण तथा अनुदान पर मत्स्य अंड बीज या स्पान भी उपलब्ध कराया जाता है। यह एक मौसमी कार्य है जिसमें मात्र 3 माह का समय लगता है और अच्छी कमाई हो सकती है।

देखा जाए तो एक लाख स्पॉन से 25000 बीज का उत्पादन किया जा सकता है परंतु यदि ध्यान देकर मेहनत किया जाए तो 60 से 70000 तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही एक ही तालाब

में इस कार्य को तीन बार किया जा सकता है। इसके लिए तालाबों के मालिक उपयुक्त ग्राहक हैं और यदि बीज  से मछली का उत्पादन संतोषजनक हुआ तो अगले वर्ष भी बीज की मांग बनी रहेगी। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपने तालाबों में मछली बीज उत्पादन के अवसर को पहचान कर और स्थानीय स्तर पर बीज की आवश्यकता को देखते हुए इस कार्य को प्रारंभ कर सकते हैं। यदि कोई कठिनाई हो तो अपने जिले के मत्स्य पदाधिकारी अथवा सीधे लेखक से संपर्क कर सकते हैं।

लेखक सेवानिवृत्त उपनिदेशक   (मत्स्य विभाग) हैं।Ph. 9430783037 email:coomar2012@gmail.com

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