मीठे जल में तालाबों में एक साथ विभिन्न प्रजातियों की मछलियों के पालन को मिश्रित मत्स्य पालन कहा जाता है। लगभग सभी मत्स्य पालक मिश्रित मत्स्य पालन तो करते हैं परंतु इसमें सभी प्रकार की मछलियों का पालन नहीं कर पाते हैं। अधिक लाभ के लिए उचित होगा कि चार प्रकार की देसी मछलियां जिन्हें भारतीय मुख्य कार्प कहते हैं जिनमें रोहू, कतला, मृगल या नैनी और कलबासू का पालन करें । साथ-साथ तीन विदेशी मछलियाों जैसे ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प और कॉमन कार्प का भी पालन कर सकते हैं।
रोहू सबसे अधिक पसंद की जाने वाली मछली होती है और यह तालाब के बीच के सतह में पाई जाती है। इसकी वृद्धि प्रथम वर्ष में 600 से 800 ग्राम तक हो जाती है। कतला तालाब के ऊपर के सतह में पाई जाती है और इसकी वृद्धि दर रोहू से अधिक है। यह प्रथम वर्ष में 800 से 1250 ग्राम तक हो जाती है। मृगल तालाब के तल में रहने वाली मछली है और प्रथम वर्ष में इसका वजन 600 से 800 ग्राम तक होता है। कलबासु रोहू जाति की एक प्रजाति है जो काले रंग की होती है तथा बहुत लोगों को इसका स्वाद बहुत पसंद है। इसकी वृद्धि भी प्रथम वर्ष में 600 से 800 ग्राम की होती है। विदेशी मछलियों में सिल्वर कार्प तालाब के ऊपरी सतह पर रहती है और प्रथम वर्ष में लगभग 3 किलो की हो जाती है। ग्रास कार्प तालाब के बीच के सतह पर रहती है और यदि इसको पसंदीदा भोजन जैसे कि घास गोभी का पत्ता, केला का पत्ता इत्यादि नियमित रूप से खिलाया जाए तो 1 वर्ष में इसका वजन 5 किलो तक हो सकता है। कॉमन कार्प तल में रहने वाली मछली है और सर्वभक्षी मछली है। पर्याप्त मात्रा में भोजन मिलने से प्रथम वर्ष में इसका वजन ढाई किलो तक हो जाती है।इस प्रकार इन सात प्रकार की मछलियों के पालन से किसान को लाभ प्राप्त होता है और स्थानीय लोगों को ताजी मछली मिलती है।
समस्या तब आती है जब किसान को इन सभी प्रकार की मछलियों के बीज नहीं मिलते हैं। इसके लिए किसान भाइयों को चाहिए कि सरकार के मत्स्य विभाग से संपर्क करके जो सभी प्रकार के बीज की आपूर्ति करते हैं वैसे बीज वितरक से संपर्क रखें और यह सुनिश्चित करें कि सभी प्रकार के बीज तालाब में संचय हो जाए। यहां पर यह ध्यान देने योग्य बात है की कॉमन कार्प मछली का बीज मार्च – अप्रैल महीने में ही मिलेगा, इसलिए कॉमन कार्प का संचयन मार्च – अप्रैल महीने में किया जाएगा और अन्य मछलियों का संचयन बरसात के मौसम में किया जाएगा।
मिश्रित मत्स्य पालन में यदि किसान भाई मछलियों को नियमित भोजन देने का ध्यान रखें, पानी की गुणवत्ता बनाए रखें और मछलियों को बीमारियों से बचा कर रखें तो प्रति एकड़ डेढ़ से 2 टन मछली का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और उनकी बिक्री करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
इस संबंध में यदि किसान भाई अधिक जानकारी चाहे तो मेरे नंबर या ईमेल पता पर संपर्क कर सकते हैं।
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