मनोज शर्मा
रांची पहाड़ी मंदिर के शिखर पर चढ़कर जब हम समूचे रांची का अवलोकन करते हैं तो उत्तर पूर्व दिशा की ओर एक हरियाली की चादर सी नजर आती है और उस हरियाली के बीच में गिने चुने भवन नजर आते हैं। दरअसल शहरी रांची का यह इलाका राजभवन के उद्यान और रांची विश्वविद्याालय के मोराबादी परिसर के कारण इतनी हरियाली लिये हुये दिखता है। आपाधापी और व्यस्त जिंदगी के कारण हम रांची विश्वविद्यालय के मोराबादी कैंपस की रमणिकता और खुबसूरती को नजरअंदाज कर जाते हैं, पर शोरगुल, ट्रैफिक और प्रदूषण से मुक्त यह परिसर बहुत ही सुकूनदेह और रमणिक है। 1960 में स्थापित रांची विश्विद्यालय का 12 जुलाई को 60वां स्थापना दिवस भी है । किसी भी शैक्षणिक परिसर के लिये आदर्श वातावरण की कसौटी को रांची विश्वविद्याालय का मोराबादी कैंपस पूरा करता है। कुछ साल पहले रांची कॉलेज के सामने के बड़े मैदान में विश्वविद्याालय के पीजी विज्ञान विषयों का भव्य भवन बनाया गया, इसी में आज रांची विवि का रेडियो खांची और आर्यभट्ट सभागार भी है, लेकिन इसमें इस बात का विशेष खयाल रखा गया कि इससे यहां की खुबसूरती या पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो। यही कारण है कि बेसिक साइंस परिसर के बनने के बाद भी इसमें बॉटनिकल गार्डेन का निर्माण किया गया जिसमें कई प्रकार के दुर्लभ पेड़ पौधे लगाये गये हैं। इस सुनियोजित प्रयास के कारण से ही विशाल भवनों के बनने के बावजूद परिसर पर्यावरण अनुकूल हरियाली लिये हुये सुंदर दिखता है। ऐसा यहां के प्राध्यापकों छात्रों के निजी लगाव और इसे सुंदर बनाने के प्रयास के कारण संभव हुआ है।
पर्यावरण प्रेमी है कुलपति डॉ. रमेश कु. पांडेय
वर्तमान कुलपति डॉ. रमेश कुमार पांडेय बॉटनी के प्राध्यापक हैं और स्वयं इनका समर्पण हरियाली , बाग बगीचों और परिसर को स्वच्छ रखने में रहता है। इन्होंने अपने पहले कार्यकाल में ही पूरे मोराबादी कैंपस के प्रत्येक विभागों में खाली पड़े जगहों को साफ करवा कर वहां तरह तरह के पेड़ पौधे लगवा दिये। यही कारण है कि कुछ ही सालों में प्रत्येक विभाग एक रमणिक और शांत शैक्षणिक परिसर में बदल गया। कुलपति का जुनून कुछ ऐसा है कि वह स्वयं पेड़ पौधे लेकर परिसर को सजाने संवारने में लग जाते हैं और विश्वविद्याालय के छात्रों प्राध्यापकों की टीम के साथ परिसर की साफ सफाई का आयोजन करते हैं।
तनावमुक्त कर देता है यहां के सेमल वृक्षों की छांव
पीजी आर्ट ब्लॉक परिसर में कतार में कई विशाल सेमल के पेड़ हैं निकी हरियाली और छांव किसी भी व्यक्ति को तनावमुक्त कर देता है। इस परिसर में गुलाब का एक बगीचा भी बनाया गया है जिसमें रंग बिरंगे गुलाब लगे हुये हैं। कमाल की बात है कि कुछ साल पहले यह परिसर बरसात में कीचड़युक्त हो जाता था और इसमें गिरने पड़ने के वाकये होते रहते थे। एक बार इससे खिन्न होकर छात्रों ने यहां धान रोप दिया था, लेकिन उसके बाद एकाएक ही पूरे परिसर की रौनक ही बदल गयी। सुव्यस्थित तरीके से इसमें टाइल्स लगा कर चारो ओर बाग बगीचे पेड़ पौधे लगाये गये जिससे यह परिसर अब बहुत ही रमणिक दिखता है। अब यहां छात्रों और अध्यापकों के वाहन पार्किंग के लिये भी पर्याप्त जगह बन गया है। वहीं बहुद्देशीय परीक्षा भवन अगर कोई आये तो उसे यहां दर्जनों किस्म के पेड़ पौधे और रंग बिरंगे फूलों वाली लतायें देखने को मिलेंगी। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो अमूमन हमें कहीं और देखने को नहीं मिलती। इस परिसर में जंगल जलेबी के पेड़ भी दिख जायंेगे जो एक प्रकार का मीठा जंगली फल है जो गर्मियों में पकता है।