रांची : बीएयू ग्रामीण कृषि मौसम सेवा अधीन जारी एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन में विभिन्न सब्जियों जैसे टमाटर, फूलगोभी, बंधगोभी आदि का बिचड़ा तैयार होने पर मेढ़ बनाकर रोपाई करने का परामर्श दिया गया है. बुलेटिन में पहले से रोपे गए सब्जियों में निकाई – गुड़ाई कर जरूरत के मुताबिक यूरिया का भुरकाव करने की सलाह दी गयी है।
किसानों को जाड़े की सब्जियों जैसे फूलगोभी,बंधगोभी, मिर्च, टमाटर आदि की खेती के लिए बीज स्थली (नर्सरी) में बीज को गिराने तथा मुली, गाजर, शलजम, फ्रेंचबीन (झाड़ीदार) आदि की सीधी बोआई मेढ़ बनाकर करने की सलाह दी गयी है।
एडवाइजरी में किसानों को अगात आलू की खेती के लिए अनुशंसित अगात किस्म कुफ़री अशोका या कुफ़री पुखराज में से किसी एक किस्म को खेतों में मेढ़ बनाकर बोआई करने को कहा गया है. किसानों को एक एकड़ में बोआई के लिए 12 किलो ग्राम बीज (20-30 ग्राम के आकार का अंकुरित कंद) तथा 40 किलो ग्राम यूरिया, 70 किलो ग्राम डी. ए. पी., 80 किलो ग्राम म्युरीएट ऑफ पोटाश एवं 10 किलो ग्राम गंधक का प्रयोग करने की सलाह दी गयी है. कंद (बीज) लगाते समय दो कतार के बीच की दूरी 40 – 50 सेंटीमीटर तथा कंद से कंद की दूरी 15 सेंटीमीटर रखने को कहा गया है।
अगात मटर की खेती के लिए किसानों को मटर की अगात अनुशंसित किस्म आरकेल या आजाद मटर में से किसी एक किस्म की बोआई 25 सेंटीमीटर (कतार से कतार) तथा 15 सेंटीमीटर (पौधा से पौधा) की दूरी पर खेतों में मेढ़ बनाकर करने की सलाह दी है. एक एकड़ में बोआई के लिए 40 किलो ग्राम बीज तथा 35 किलो ग्राम यूरिया, 200 किलो ग्राम एस.एस.पी., 25 किलो ग्राम म्युरीएट ऑफ पोटाश का प्रयोग किया जा सकता है.
बीएयू के पौध रोग वैज्ञानिक डॉ एचसी लाल ने फूलगोभी या बंधगोभी में गोभी का पतंगा कीट तथा बैंगन में तना या फल छेदक कीट से बचाव के लिए जैविक कीटनाशी दवा हाल्ट या डोल्फिन का छिड़काव 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करने की सलाह दी है. खरीफ मौसम में बैंगन तथा टमाटर पर मुरझाने वाली बीमारी ज्यादा दीखते है. इसका प्रकोप दीखने पर बचाव के लिए स्ट्रेपटोसायकलीन 10 ग्राम तथा ब्लाइटोक्स 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में घोल बनाकर जड़ के पास ड्रेचिंग की जा सकती है।