मंडा पूजा- झारखंडियों की अनोखी शिव भक्ति

अमिताभ कुमार धीरज

पीजी इंटर्न, स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन

रांची विश्वविद्यालय, रांची

रांची : झारखंड राज्य अपनी जनजातीय संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। वैसे तो यहां हर धर्म के पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं , पर मंडा पूजा झारखंड का एक पारम्परिक जनजातीय लोकपर्व है जो भगवान शिव को खुश करने और अच्छी बारिश और फसल की कामना के लिए मनाया जाता है।
यूं तो पूरा देश महादेव का भक्त है पर मंडा, झारखंड में मनाया जाने वाला अनोखा पर्व है जो विशेष रीति रिवाजों के साथ शिव की आराधना करता है।
यह झारखंड के विभिन्न जिलों जैसे रामगढ़, सिमडेगा, खूंटी सहित राजधानी रांची में धूमधाम से मनाया जाता है।रांची के अलग-अलग इलाकों जैसे बोड़ेया, कोकर, चुटिया, हातमा में कुछ दिनों के अंतराल में पूजा की जाती है।
आम तौर पर मंडा पूजा अप्रैल-मई के महीने में होता है और सात से नौ दिनों तक चलता है।
इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार झारखंड में की जाने वाली मंडा पूजा भगवान भोले शंकर की पहली पत्नी सती के बलिदान की याद में की जाती है। मंडा पूजा करने वाले भक्त इसे माता सती का आशीर्वाद मानते हैं।

यह पूजा कई दिनों तक चलती है, इस दौरान भक्त उपवास करते हैं।वे श्रद्धालु पुरुष जो कठोर व्रत रखते हैं उन्हें “भोक्ता” कहा जाता है ।”सहायिका” कहलाने वाली महिला श्रद्धालु भोक्ताओं की “लोटा सेवा” करके उनकी सहायता करती हैं।नौ दिनों में भोक्ताओं द्वारा लोटन परिक्रमा, फुलखुंदी की जाती है जो झूलन के साथ समाप्त होती है। झूलन में कई फीट ऊंचे लकड़ी के मचान से फूल बरसाए जाते हैं जिन्हें भक्तों द्वारा आंचल में लिया जाता है।
पूजा का एक प्रमुख हिस्सा जलते हुए अंगारों पर चलना है।यह भक्तों की भक्ति का भी प्रदर्शन है भक्त अपनी श्रद्धा दिखाने के लिए ऐसा करते हैं। कहा जाता है कि आग पर चलने से शिव भक्त के मनोकामना पूर्ण होती है। शरीर के सारे कष्ट दूर होते हैं।
मंडा पूजा के दौरान अक्सर मंडा मेला लगता है, जो धार्मिक कार्यों में उत्सव का माहौल लाता है। मेले में पारंपरिक नृत्य और संगीत जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।क्षेत्रीय व्यंजनों के स्टॉल व दुकानें सजाईं जाती है।
स्थानीय कलाकार अपनी कलाकृतियों को प्रदर्शित करते हैं और बेचते हैं।
यह सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि एक सामुदायिक सभा भी है। यह त्योहार लोगों को एक साथ आने, खुशियाँ मनाने और अपनी संस्कृति को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।

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