उज्जवल केरकेट्टा
पीजी इंटर्न, स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन
रांची विश्वविद्यालय, रांची
पश्चिमी सिंहभूम में मॉनसून के आने के साथ ही किसान खेतों की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों की सफाई की जा रही है। खेतों में जुताई से पहले खरपतवार को एकत्र कर जलाया जा रहा है तो कहीं खेत में गोबर खाद डाला जा रहा है। किसानों का मानना है कि खेती की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए खेत में बारिश से पहले गोबर खाद का देना जरूरी होता है। उसके बाद खेत की जुताई की जाती है। इससे समय आने पर फसल अच्छी हो सके।
बारिश से पहले खेत में खाद डालने से बारिश आने पर खाद आसानी से मिट्टी में मिल जाता है। किसानों का मानना है कि खेत की बुवाई करने से खाद जमीन में अंदर चला जाएगा। वहीं दूसरी ओर जमीन के अंदर के कीटाणु बाहर निकल कर समाप्त हो जाएंगे। इससे पैदावार अच्छी होगी। इन दिनों भीषण गर्मी के कारण खेतों की जुताई कम हो रही है।
मानसून के आने से पहले ही शुरू हो जाती है बुवाई। किसान मानसून के आगमन के साथ ही फसल की बुवाई करना शुरू कर देते है। जिसे किसानो की भाषा मे अगेती फसल भी कहा जाता है। बारिश आने के 15 दिन बाद फसल की बुवाई को पछेती कहा जाता है जिसके चलते अब अगर अच्छी बारिश होती है तो किसान कहीं ना कहीं फसल बोने की तैयारी कर लेंगे।