123 साल में सबसे कम बारिश वाला रहा अगस्त
मनोज कुमार शर्मा
वर्ष2023का सितंबर प्रारंभ हो गया है। सावन खत्म हो गया, मलिमास के कारण इस बार सावन दो महिने का था, पर झारखंड में सबकी आंखें तरस गयी उस रिमझिम बारिश को देखने के लिये जो सावन में दिखता है। झारखंड में हालत है कि कई जिलों में धान की रोपनी कम हुई है और कहीं रोपनी हो गयी तो उसके लिये पानी की कमी हो रही है। रांची में इस साल एक दिन भी वो झमाझम बारिश नहीं हुई जिसके लिये रांची जानी जाती थी। 1992 में तो यहां ऐसी बारिश हुयी थी कि चेरापूंजी का रिकार्ड भी टूट गया था। आज वो सब सिर्फ सुनहरी यादें हैं फिलहाल रांची में कुछ सप्ताह से उमस भरी गर्मी और धीमी आंच पर जलाने वाली धूप का कहर है।
अब भादो में क्या होगा ?
कहावत है सावन से दुब्बर भादो काहे? लेकिन सावन की तरह अगर भादो भी दगा दे गया तो झारखंड के ज्यादतर डैम, ताल तलैये रिचार्ज नहीं होंगे और इसका असर जलसंकट के रूप में आगे दिखेगा। पूरे अगस्त में इतनी कम बारिश हुई है कि अगस्त, 2023 में 123 साल में अब तक की सबसे कम मानसूनी वर्षा दर्ज की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से महानिदेशक एम महापात्रा ने ने 31 अगस्त, 2023 को अपने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगस्त महीने में ऑल इंडिया रेनफॉल 161.7 मिलीमीटर (एमएम) दर्ज किया गया जो कि सामान्य से 35 फीसदी कम है और 1901 के बाद से सबसे इससे पहले अगस्त महीने में बेहद कम वर्षा (सामान्य से 25 फीसदी कम) का रिकॉर्ड 2005 में दर्ज हुआ था। आईएमडी ने सितंबर महीने में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद जताई है। कम है। सर्वाधिक कम वर्षा वाले क्षेत्र केंद्रीय और दक्षिणी प्रायद्विपीय क्षेत्र हैं। केंद्रीय (164.5 एमएम) और दक्षिणी प्रायद्वीपीय (73.5 एमएम) भारत में भी 1901 के बाद से कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।महापात्रा ने कहा इसका प्रमुख कारण अल नीनो और अन्य मौसम कारक हैं। उन्होंने कहा कि अल नीनो मजबूत हो रहा है और 2026 तक इसकी परिस्थितियां बनी रह सकती हैं। हालांकि, वर्षा को बढ़ाने वाला इंडियन ओसियन डायसपोल (आईओडी) पूरे साल पॉजिटिव बना रहा सकता है जो अल नीनो के असर को कम कर सकता है।
सिंतबर में सामान्य मानसूनी वर्षा की आस है, पर का बरसा जब कृषि सूखाने ?
अब अगर भादो में खूब बारिश होती भी है तो यह किसानों को चिढाने जैसा ही है। जिन्होंने सावन में कम बारिश के कारण धान नहीं रोपा वो भादो की बारिश को देख कर यही कहेंगे कि का बरसा जब कृषि सूखाने ? आईएमडी के मुताबिक मानसून के शुरुआती तीन महीनों में जुलाई को छोड़कर जून और अगस्त महीने में सामान्य से बहुत कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। जुलाई में सामान्य से 13 फीसदी अधिक 315.9 एमएम वर्षा रिकॉर्ड की गई।वहीं, सामान्य से कम वर्षा वाले महीनों में जून महीने की बात की जाए तो सामान्य 165.3 एमएम की तुलना में 151.2 एमएम वर्षा यानी सामान्य से -9 फीसदी कम रही। अगस्त महीने में सामान्य से -36 फीसदी वर्षा (162.7 एमएम) कम रही। आइएमडी के एम महापात्रा वर्षा में कमी के कारकों में अल नीनो के अलावा अन्य कारकों के बारे में बताते हैं कि “न ही ज्यादा लो प्रेशर सिस्टम बने और न ही वर्षा बढ़ाने वाला मैडन जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) फेवरेबल रहा। इसके अलावा अगस्त के महीने में इंडियन ओसियन डायसपोल (आईओडी) भी निगेटिव रहा।” आईओडी के कारण वर्षा होती है। यह अगस्त के अंत में जाकर अपने थ्रेशहोल्ड को पार कर गया है यानी पॉजिटिव है जिसका परिणाम सितंबर में वर्षा के रूप में मिल सकता है। इससे पहले 1979 और 2005 में सर्वाधिक मानसून ब्रेक डे रिकॉर्ड किए गए थे।31 अगस्त, 2023 तक पूर्वी यूपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, गंगेटिक वेस्ट बंगाल, एनएमएमटी, केरल, लक्षद्वीप साउथ इंटीरियर कर्नाटक, रायलसीमा, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में डिफिशिएंट रेनफॉल दर्ज किया गया।
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार-झारखंड में कम वर्षा और राजस्थान में अत्यधिक वर्षा के सवाल पर महापात्रा ने कहा कि यह ट्रेंड देखा जा रहा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार और झारखंड में कम वर्षा हो रही है जबकि राजस्थान में अत्यधिक वर्षा रिकॉर्ड की जा रही है। इस बार राजस्थान में अधिक वर्षा का कारण बिपरजॉय तूफान था। जुलाई में सामान्य से अधिक वर्षा ने खेती-किसानी को चौपट होने से बचा लिया है। आईएमडी का मानना है कि यदि जुलाई में वर्षा में कमी होती तो बुआई संभव न हो पाती।